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________________ 104 . मृत्यु की दस्तक यदि लग्नेश बृहस्पति व शुक्र के साथ हो तो तीर्थ में मृत्यु होती है। उदाहरणस्वरूप वल्लभाचार्य जी का जन्म-चक्र प्रस्तुत है - शु. चं. रा. के. यहां लग्नेश मंगल बृहस्पति के साथ नवम स्थान में है। इनकी मृत्यु काशी में हुई थी। तीर्थ मरण के भी अनेक योग और भेद हैं विस्तार से नहीं दिया जा रहा है। जा रहा है। इसी तरह ग्रह-योगानुसार मृत्यु-कारण के सम्बन्ध में कहा गया है(1) यदि कर्क अथवा सिंह राशिगत होकर चन्द्रमा सप्तम व अष्टम स्थान में बैठा हो और राहु से युत हो तो किसी पशु द्वारा मृत्यु होती है। (2) यदि दशम स्थान में सूर्य और चतुर्थ स्थान में मंगल हो तो किसी सवारी पर से गिरकर मृत्यु होती है। (3) दशम स्थान में सूर्य और चतुर्थ में मंगल बैठा हो तो वाहन से टकराकर मृत्यु होती है। (4) यदि राहु अष्टम स्थान में हो और उस पर पापग्रह की दृष्टि हो तो फोड़ा इत्यादि या सर्प डसने से मृत्यु हो। (5) शुभ ग्रह शत्रु राशिगत होता हुआ 6, 8 या 12वें स्थान में बैठा हो और मंगल शत्रु राशिगत होता हुआ शत्रुग्रह के साथ हो तो सर्प के डसने से मृत्यु होती है। (6) यदि मीन लग्न का जन्म हो और उसमें सूर्य और चन्द्रमा किसी अन्य पापग्रह के साथ हो और अष्टम स्थान में भी पापग्रह हो तो किसी स्त्री के हाथ से मृत्यु होती है। (7) लग्नेश, अष्टमेश और सप्तमेश के एकत्र होने से जातक की मृत्यु स्त्री के साथ होती
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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