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________________ ज्योतिष शास्त्र में मृत्यु-विचार 103 __ पहले यह देखना होगा कि बालारिष्ट है या नहीं, फिर यह देखना होगा कि अल्पायु, मध्यमायु व दीर्घायु है। इतना निश्चय करने के बाद यह देखना होगा कि उस आयु प्रमाण के समय विंशोत्तरी दशानुसार किस ग्रह की दशा-अन्तर्दशा पड़ती है। उस आयु के अनुकूल उपर्युक्त मारकेशों में से किसी की दशा-अन्तर्दशा आयेगी तो उसी में मृत्यु या मृत्युवत् क्लेश होगा। उदाहरणार्थ मान लिया जाये कि जातक अल्पायु नहीं है परन्तु जन्म से पाँच ही वर्ष बाद द्वितीयेश के साथ वाले पापग्रह की दशा आती है तो ऐसे स्थान में उस ग्रह की दशा में उस जातक की मृत्यु नहीं होगी, केवल कष्ट होकर रह जायेगा। इसी प्रकार यदि मान लिया जाये कि बालक को बालारिष्ट योग नहीं है परन्तु जन्म समय ही में मारकेश की दशा है तो ऐसे स्थान में वह मारकेश ग्रह अनिष्टकारी तो अवश्य होगा परन्तु मृत्युकर नहीं होगा। . ___ अल्पायु, मध्यमायु व दीर्घायु के समय विचारपूर्वक देखना होगा कि बली मारकत्व किस ग्रह को है, उसी की दशा-अन्तर्दशा तथा गोचर क्रम में वह ग्रह मारेगा। किन्तु मृत्यु का ठीक समय-ज्ञान बहुत कठिन है। सप्तम, द्वितीय और द्वादश स्थान में पापग्रह हो और लग्न, अष्टम या छठे स्थान में चन्द्रमा हो और लग्न से दूसरे, सातवें, आठवें व बारहवें घर के स्वामी की दशा-अन्तर्दशा चल रही हो तो अवश्य मृत्यु को देने वाला होता है या फिर उपर्युक्त दशा काल जब कभी आता है साथ ही गोचर क्रम में भी 2, 6, 7, 8 या 12वें घर में पापग्रह आता है तो मृत्युकारी होता है। लग्नयो मृत्यु पश्चापि मृत्यौ स्याता बुभौ यदि / स्थितौ प्रेष्काण एकस्मिन् तदा मृत्युर्न संशयः / / यदि चक्र में पहले घर (लग्न) का स्वामी और अष्टम घर का स्वामी राशि के एक ही प्रेष्काण 1/3 में स्थित हो जाये तब मृत्यु को प्राप्त कराता है। (1) मृत्यु स्थान के सम्बन्ध में कहा गया है कि उपर्युक्त योग के समय यदि अष्टम भाव ___चर (1, 4, 7, 10) राशि हो तो जन्म स्थान से बिलग किसी अन्य नगर में मृत्यु होती (2) यदि अष्टमेश पापग्रह हो और लग्न में बैठा हो और उस पर लग्नेश की दृष्टि हो तो ____ जातक की मृत्यु अकस्मात् अपने घर में होती है। (3) यदि अस्माधिपति पापग्रह हो और सप्तम स्थान में बैठा हो तो जातक की मृत्यु रास्ते में होती है। " (4) यदि मंगल नवम भाव में हो तो मार्ग में। (5) यदि नवमेश नवम में हो तो तीर्थ या गंगा के समीप मरण होता है।
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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