________________ मृत्यु की अवधारणा - एक अनुचिन्तन (2) अकाल मृत्यु - किसी आकस्मिक घटना के कारण जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे अकाल मृत्यु कहते हैं, जैसे किसी ऊँचे स्थान से गिरकर, पानी में डूबकर, किसी यन्त्र आदि से दुर्घटनाग्रस्त होने पर होने वाली मृत्यु। (3) आत्महत्या - किसी विवशता के कारण जीवन से ऊबकर स्वयं अपनी हत्या कर लेना। जैसे विषपान कर लेना, ऊँचे स्थान से कूद जाना, ट्रेन से कट जाना, पानी में छलांग लगा देना, बन्दूक आदि से अपने पर ही प्रहार कर लेना, इत्यादि। (4) इच्छा-मृत्यु - इच्छा-मृत्यु का अर्थ है कि स्वेच्छा से मृत्यु को गले लगाना। इसकी __चर्चाएं विभिन्न परम्पराओं में अलग-अलग ढंग से मिलती हैं। (क) वैदिक परम्परा - महाभारत में भीष्म पितामह की इच्छा-मृत्यु का उल्लेख मिलता है। स्वेच्छा से प्राण त्यागने की क्षमता उनमें थी। प्राण त्यागने के लिए उन्होंने सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रतीक्षा की। इसके अतिरिक्त साधकों के द्वारा स्थायी रूप से समाधिस्थ होने की बातें भी मिलती हैं। (ख) जैन परम्परा - जैन परम्परा में इच्छा-मृत्यु के लिए संथारा, समाधिमरण, आदि शब्द भी देखे जाते हैं। इसमें बताया गया है कि जब व्यक्ति अपने जीवन में सन्तोष प्राप्त कर लेता है, उसे किसी चीज की अपेक्षा नहीं रह जाती है तब वह धीरे-धीरे अपना खान-पान त्यागना शुरू कर देता है और अन्त में मृत्यु की स्थिति में आ जाता (ग) ग्रीक परम्परा - ग्रीक परम्परा की सिरेनाइक तथा सिनिक शाखाओं में भी मृत्यु को वरीयता दी गई है। सिरेनाइक शाखा के हेगेसियस ने यह माना है कि जीवन का कोई महत्त्व नहीं है, बल्कि जीवन की तुलना में मृत्यु व्यक्ति के लिए ज्यादा अनुकूल है, क्योंकि उसमें सभी प्रकार की निराशाओं एवं दुःख का अन्त हो जाता है। वे लोग बड़े भाग्यवान होते हैं जिनका जीवन कष्टमुक्त होता है। ज्यादातर लोगों के जीवन में तो क्लेश का आधिक्य ही देखा जाता है। ऐसी स्थिति में आत्महत्या ही मात्र ऐसा मार्ग रह जाता है जो व्यक्ति को दुःख से छुटकारा दिलाता है। अतः वे आत्महत्या का समर्थन करते हैं। सिनिक लोगों के विचार में निर्धनता, कष्ट, रोग, गुलामी तथा अपने आप में मृत्यु भी अशुभ नहीं है। गुलाम से स्वतन्त्र को श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता, कारण गुलाम के पास यदि धार्मिकता है तो वह स्वयं स्वतन्त्र है और जन्मजात शासक है। आत्महत्या को एक अपराध नहीं कहा जा सकता, यदि कोई अपने दुःख के दमन के लिए नहीं बल्कि जीवन के प्रति अपनी उपेक्षा भावना के कारण आत्महत्या करता है। मृत्यु के प्रकारों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आत्महत्या और इच्छा-मृत्यु में अन्तर है। आत्महत्या में विवशता होती है जबकि इच्छा-मृत्यु में संतोष एवं स्वतन्त्रता होती