________________ 64 ] [ भीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभागः पडणे य एवमाई दोसा // 358 // मालाभिमुहं दवण अगारिं निग्गयो तो साहू / तचन्नेिय भागमणं पुच्छा य अदिन्नदाणत्ति // 351 // मालंमि कुडे मोयग सुगंध अहि पविसणं करे डका / अन्नदिण साहु अागम निद्दय कहणा य संबोही / / 360 // श्रासंदि-पीढमंचक-जंतोडुखल पडंत उभयवहे / वोच्छेय-पोसाई उड्डाह-मनाणिवायो य / 361 // एमेव य उकोसे वारण निस्सेरिए गुम्विणीपडणं / गम्भिस्थि कुच्छिफोडा पुरयो मरणं कहण बोही // 362 // उड्डमहे तिरियपि य यहवा मालोहडं भवे तिविहं / उड्डे य महोयरणं भणियं कुंभाइसू उभ्यं // 363 // ददर-सिल-सोवाणे पुव्वारूढे श्रणुच मुक्खित्ते / मालोहडं न होई सेसं मालोहडं होइ // 36 // तिरियायय उज्जुगएण गिराहई जं करेण पासंतो। एयमणुच्चुविखत्तं उच्चुविखत्तं भवे सेसं // 365 // अच्छिज्जपि य तिविहं पभू य सामी य तेणए चेव / अच्छिज्ज पडिकुटुं समणाण न कप्पए चेत्तु / / 366 // गोवालए य भयएऽखरए पुत्ते य धूय सुराहाए / अचियत्त-संखडाई केइ परोसं जहा गोको / / 367 // गोवपयो अच्छेनु दिन्नं तु जइस्स भइदिणे पहुणा / पयभाणूणं दठ्ठ खिंसइ भोई रुवे चंडा // 368 // पडियरण-पोसेणं भावं नाउं जस्स थालाो / तन्निबंधा गहियं हदि स मुक्कोसि मा बीयं // 361 // नानिन्विट्ठल भइ दासीवि न भुजए रिते भत्ता। दोन्नेगयर पत्रोसं जं काही अंतरायं च // 370 // सामी चारभडा वा संजय दट्ठ गा तेसि अट्ठाए। कलुणाणं अच्छेज्जं साहूण न कप्पए घेत्तुं // 371 // याहारोवहि-माई जइअट्ठाए उ कोई अच्छिदे / संखडी असंखडीए तं गिराहते इमे दोसा // 372 // श्रचियत्तमंतरायं तेनाहड एगऽोग-बोच्छेयो / निच्छुभणाई दोसा तस्स अलंभे (वियालऽलंभे) य जं पावे // 373 // तेणो व संजयट्ठा कलुणाणं अप्पणो व अट्ठाए / वोच्छेय पयोसं वा न कप्पई कप्पऽणुनायं // 474 // संजयभद्दा तेणा श्रायंती वा असंथरे जइणं / जइ देति न