________________ 12 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / त्रयोदशमो विमागः ज्जुए कहणा // 162 // जुजइ गणस्स खेतं नवरि गुरूणं तु नत्थि पाउग्गं / सालित्ति कए रुंपण परिभायण निययगेहेसु // 163 // वोलिंता ते व अन्ने वा, अडता तत्थ गोयरं / सुणंति एसणाजुत्ता, बालादिजणसंकहा // 164 // एए ते जेसिमो रद्धो, सालिकूरो घरे घरे। दिनो वा सेसयं देमि, देहि वा विति वा इमं // 165 // थक्के थक्कावडियं, अभत्तए सालिभत्तयं जायं / मज्झ य पइस्स मरणं, दियरस्स य से मया भजा // 166 // चाउलोदगंपि से देहि, सालीयायामकंजियं / किमयंति कयं नाउं, वज्जंतऽन्नं क्यंति वा // 167 // लोणागडोदए एवं, खाणित्तु महुरोदगं / ढक्किएणऽच्छते ताव, जार साहुत्ति यागया // 168 // ककडिय ग्रंबगा वा दाडिम दक्खा य बीयपराई / खाइमऽहिगरण-करणंति साइमं तिगडुगाईयं // 16 // असणाईण चउराहवि ग्रामं जं साहुगहणपाउग्गं / तं निट्ठियं विवाणसु उअक्खडं तू कई होइ // 170 // कंडियतिगुणुपकंडा उ निट्ठिया नेगदुगुणउक्कंडा / निट्ठियकडो उ कूरो याहाकम्मं दुगुणमाहु // 171 // छायपि विवज्जंती केई फलहेउगाइवुत्तस्स / तं तु न जुजइ जम्हा फलंपि कप्पं विइयभंगे // 172 // परपचइया छाया न वि सा रुक्खोव्व वट्टिया कत्ता। नट्ठच्छाए उ दुमे कप्पइ एवं भणंतस्स // 173 // वड्डइ हायइ छाया तत्थिकं पूइयंपि व न कप्पे / न य थाहाय सुविहिए निवत्तई रविच्छायं // 174 // अघणघण-चारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ / कप्पइ निरायवे नाम पायवे तं विवज्जे(ज्जति) // 175 // तम्हा न एस दोसो संभवई कम्मलक्खणविहूणो / तंपि य हु अइघिणिला वज्जेमाणा श्रदोसिल्ला // 176 // परपक्खो उ गिहत्या समणो समणीउ होइ उ सपक्खो / फासु. कडं रद्धं वा निट्ठियमियरं कडं सव्वं // 177 // तस्त कनिट्ठियंमी अन्नस्स कडंमि निट्ठिए तस्स / चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु // 17 // चउरो अइकमवइकमा य अइयार तह अणायारो। निहरिसणं चउराहवि