________________ श्रुतकेवलि-श्रीमद्भद्रबाहुस्वामिप्रणीता सभाष्या श्रीपिण्डनियुक्तिः। - -::-- पिंडे उग्गम उप्पायोसणा सं जोयणा पमाणं च / इंगाल धूम कारण अट्टविहा पिंडनिज्जुत्ती॥ 1 // पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणाय समवाए / समुमरण निचय उपचय चए य जुम्मे य रासी य॥ 2 // पिंडस्स उ निक्खेवो चउकयो छक्कयो व काययो / निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायया // 3 // कुलए चउभागस्स संभवो छक्कए चउराहं च / नियमेण संभवो अस्थि छकगं निविखवे तम्हा // 4 // नामंठवणापिंडो दव्वे खेत्ते य काल भावे य / एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो छविहो होइ // 5 // गोराणं समयकयं वा जं वावि हवेज्ज तदुभएण कयं / तं बिंति नामपिंडं ठरणापिंडं अयो वोच्छं // 6 // गुणनिफन्नं गोराणं तं चेव जहत्थमस्थवी बेति / तं पुण खवणो जलनो तवणो पवनो पईवो वा // 1 // पिंडण बहुइव्वाणं पडिबवखेणावि जत्थ पिंडक्खा / सो समयकयो पिंडो जह सुत्तं पिंडपडिहाई // 2 // जस्स पुण पिंडवायट्ठया पविट्ठस्स होइ संपत्ती / गुड. योयणपिडेहिं तं तदुभयपिंडमाइंसु // 3 // उभयाइरित्तमहवा अन्नपि हु अस्थि लोइयं नाम / अत्ताभिप्पायकयं जह सीहग-देवदत्ताई // 4 // गोराणसमयाइरित्तं इणमन्नं वाऽवि सूइयं नाम / जह पिंडउत्ति कीरइ कस्सइ नामं मणूमस्त // 5 // तुल्लेऽवि अभिप्पाए समयपसिद्धं न गिराहए लोयो / जं पुण लोयपसिद्धं तं सामइया उवचरन्ति // 6 // (भा०) अक्खे वराडए वा कट्ठ पुत्थे व चित्ताम्मे वा / सम्भावमसम्भावं ठवणापिंडं वियाणाहि