________________ श्रीमदशकालिक-सूत्रम् / अध्ययनं 4] न बंधइ ? // 7 // जयं चरे जयं चिट्ठ, जयमासे जयं सये / जयं भुजंतो भासंतो पावं कम्मं न बंधइ // 8 ॥सबभूयप्पभूयस्म, सम्मं भूयाई पासयो / पिहियासवस्स दंतस्स, पावं कम्मं न बंधइ // 6 // पढमं नाणं तो दया, एवं चिट्ठइ सब्बसंजए। अन्नाणी किं काही ? किं वा नाहीइ छेयपावगं ? // 10 // सोचा जाणइ कलाणं, सोचा जाणइ पावगं / उभयपि जाणइ सोचा, जं सेयं तं समायरे॥११॥जो जीवे वि न याणेइ, अजीवे वि न याणेइ / जीवाजीवे अयाणंतो, कहं सो नाहीइ संजमं // 12 // जो जीवे वि वियाणेइ, अजीवे वि बियाणइ / जीवाजीवे वियाणंतो, सोहु नाहीइ संजमं // 13 // जया जीएमजीवे य. दोवि एए रियाणइ / तया गई बहुविहं, सव्वजीवाण जाण // 14 // जया गई बहुविहं, सबजीवाण जाणइ / तया पुराणं च पावं च, बंधं मुखं च जाणड // 15 // जया पुराणं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ। तया निधिदए भोए, जे दिवे जे अ माणुसे // 16 // जया निबिदए भागे, जे दिव्ये जे य माणुसे / तया चयइ संजोगं, सभितर-बाहिरं // 17 // जा चयइ संजोगं, सभितर-बाहिरं / तया मुडे भवित्ताणं, पव्वइए अणगारियं // 18 // जया मुंडे भवित्ताणं, पब्वइए अणगारियं / तया संवरमुकिट्ठ, धम्म फासे अणुत्तरं // 16 ॥जया संवरमुक्टि, धम्मं फासे अणुत्तरं / तया धुणइ कम्मरयं, अयोहिकलुसं कडं // 20 // जया धुणइ कम्मरयं, अबोहिकलुसं कडं / तया सम्वत्तगं नाणं, दसणं चाभिगच्छइ // 21 // जया सवत्तगं नाणं, दंसणं चाभिगच्छइ। तया लोग-मलोगं च, जीणो जाणइ केवली // 22 // जया लोग-मलोगं च, जिणो जाणइ केवली। तया जोगे निरु भित्ता, सेलेति पडिबजइ // 23 // जया जोगे निरुभित्ता, सेलेसिं पडिबजइ / तया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ नीरयो // 14 // जया कम्म खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ नीरयो। तया लोग-मस्थयत्थो, सिद्धो हवइ सासयो // 25 / / सुहसायगस्स समणस्त, सायाउलगस्स निगामसाइस्स / उच्छोलणापहोयस्स,