________________ 2] [ भीमदागमसुधासिन्धुः // त्रयोदशमो विभागा सुही होहिमि संपराओं // 5 // पक्खंदे जलियं जोई, धूमकेउं दुरासयं / नेच्छंति वतयं भोत्तुं, कुले जाया अगंधणे // 6 // धिग(र)त्यु ते जसोकामी, जो तं जीवियकारणा / वंतं इच्छसि श्रावेउं, सेयं ते मरणं भवे // 7 // अहं च भोंगरायस्स, तं च सि अंगविगिहणो / मा कुले गंधणा होमो, संजमं निहुयो चर // 8 // जइ तं काहिसि भावं, जा जा दिच्छसि नारियो। वायाविद्धव्य हो, यद्विअप्पा भविरससि // 1 // तीसे सो वयणं सोचा, संजयाइ सुभासियं / अंकुसेण जहा नागो, धम्मे संपडिवाइयो॥ 10 // एवं करंति संबुद्धा, पंडिया पवियवखणा / विणिअट्टति भोगेलु, जहा से पुरिसुतमो त्तिबेमि // 11 // ॥इति दितीयमध्ययनम् / / 2 / / // 3 // अथ श्रीक्षुल्लकाचाराध्ययनम् // संजमे सुट्टिअप्पाणं, विप्पमुक्काण ताइणं / तेसिमेय-मणाइन्नं निग्गंथाणं महेसिणं // 1 // उद्देसियं कीयगडं, नियागमभिहडाणि य / राइभत्ते सिणाणे य, गंधमल्ले य वीयणे॥ 2 // संनिहिगिहिमत्ते अ, रायपिंडे किमिच्छए / संवाहणा दंतपहोयणा य, संपुच्छणा देहपलोयणा य // 3 // अट्ठा. वए अ नालीए, छत्तस्स य धारणट्टाए / तेगिच्छं पाहणापाएं, समारंभं च जोईणो॥ 4 // सिज्जायरपिंडं च, यासंदीपलियंकए। गिहतरनिसिजा य, गायस्सुम्बट्टणाणि य // 5 // गिहिणो वेत्रावडियं, जा य श्राजीववत्तिया / तत्तानिव्वुडभोइत्तं, पाउरस्सरणाणि य // 6 // मूलए सिंगबेरे य उच्छुखंडे अनिव्वुडे / कन्दे मूले य सचित्ते, फले बीए य श्रामए / / 7 // सोवचले सिधवे लोणे, रोमालोणे य आमए / सामुद्दे पंसुखारे य, कालालोणे य श्रामए // 8 // धुवणेत्ति वमणे य, वत्थीकम्मविरेयणे / अंजणे दंतवणे य, गायाभंगविभूसणे // 1 // सब्वमेयमणाइन्नं, निग्गंथाणं महेसिणं / संज्मम्मि य जुत्ताणं, लहुभ्यविहारिणं // 10 // पंचासवपरिगणाया, तिगुत्ता बसु