________________ . 168] अट्टाहाणि वजन। अणुप्पेहा धम्मकाहीं // 33 // वायगावच्चे य दसविहे [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // त्रयोदशमो विमांगः रिहाईयं, पायच्छित्तं तु दसविहं / जे भिवखू वहई सम्म, पायच्छित्तं तमाहियं // 31 // यम्भुट्ठाणं अंजलिकरणं, तहेवासण-दायणं / गुरुभत्ति-भावसुरसूसा, विणयो एम वियाहियो // 32 // पायरिय-माईयंमि, वेयावच्चे य दसविहे श्रासेवणं जहाथाम, वेयावच्चं तमाहियं // 33 // वायणा पुच्छणा चेव, तहेव परियट्टणा / अणुप्पेहा धम्मकहा, सज्झायो पंचहा भवे // 34 // अट्टरुदाणि वजित्ता, भाइजा सुरूमाहिए / धम्मसुकाई भाणाई भाणं तं तु बुहा वए // 35 // सयणासण ठाणे वा, जे उ भिवखू ण वारे / कायस्स विउस्सग्गो, छट्टो सो परिकित्तियो // 36 // एवं तवं तु दुविहं, जं सम्म श्रायरे मुणी / से खिप्पं सव्वसंसारा, विप्पमुच्चइ पण्डिए // 37 // त्ति बेमि // // इति त्रिंशमध्ययनम् // 30 // // 31 // अथ चरणविधिनामक-मेकत्रिंशमध्ययनम् // चरणविहिं पवक्खा.म, जीवस उ सुहावहं / जं चरित्ता बहू जीवा, तिराणा संसारसागरं // 1 // एगो विरई कुजा, एगो अपवतणं / अस्संजमे नियत्तिं च, संजमे य पवत्तणं // 2 // रागदोसे 'य दो पावे. पावकम्मरवत्तणे। जे भिक्खू रु भई, निच से न अच्छइ मंडले // 3 // दंडाणं गारवाणं च, सल्लाणं च तियं तियं / जे भिक्खू चयई निच, से न अच्छइ मंडले // 4 // दिव्वे य जे उबस्सग्गे, तहा तेरिच्छमाणुमे / जे भिक्खू सहई निच, से न अच्छइ मण्डले // 5 // विगहाकसायसन्नाणं, माणाणं च दुयं तहा। जे भिक्खू वजई निच, से न अच्छइ मराडले // 6 // वएसु इन्दियत्येसु, समिईसु किरियासु य (समीतीसु य तहेव य)। जे भिक्खू जयई निच्चं, से न श्रच्छइ मण्डले // 7 // लेसासु छसु काएसु, छक अाहारवा. रणे / जे भिक्खू जयई निच, से न अच्छई मण्डले // 8 // पिंडुग्गह तिगणा संसारच, संजमे य पनिश्च से न अ निश्च से न बमहई