________________ श्रीमदत्तराज्पयनत्रम् :: अययनं 26 ] [ 151 स्तियं कुन्जा, गणे कुना निसीहियं / पापुच्छणां सर्यकरणे, परकरणे पडि. पुच्छणा // 5 // छंदणा दव्वजाएणं, इच्छकारो य सारणे / मिच्छाकारो य निदाए, तहकारो पडिस्सुए // 6 // अभुट्ठाणं गुरुप्या, अच्छणे उपसंपया। एवं दुपंचसंजुत्ता (एसा दसंगा साहूणं), सामायारी पवेइया ॥णा पुग्विल्लंमि चउभागे, श्राइच्चमि समुट्टिए। भंडयं पडिलेहित्ता, वंदित्ता य तो गुरु // // पुच्छिजा पंजलिउडो, किं कायव्वं मए इहं ? / इच्छं नियोइउं भंते !, वेयावच्चे व सज्झाए // 1 // वेयावच्चे निउत्तेण, कायव्वं अगिलायो। सम्झाए वा निउत्तेणं, सब्बदुक्खविमुक्खणे // 10 // दिवसस्स चउरो भागे, कुजा भिक्खू वियक्खणो / तयो उत्तरगुणे कुजा, दिणभागेसु चउसुवि // 11 // पढमं पोरिसिं सज्झायं, बीयं भाणं मियायई / तइयाए भिक्खायरियं, पुणो चउत्थीइ सज्झायं // 12 // श्रासाढे मासे दुपया, पोसे मासे चउप्पया। चित्तासोएसु मासेसु, तिप्पया हवइ पोरसी // 13 // अंगुलं सत्तरत्तेणं, पक्खेणं तु दुभंगुलं / वडए हायए वावि, मासेणं चउरंगुलं // 14 // श्रासाद-बहुलपक्खे, भद्दवए कत्तिए य पोसे य / फग्गुण-वइसाहेसु य नायव्वा योमरत्ता उ // 15 // जिट्ठामूले अासाढसावणे, छहिं अंगुलेहिं पडिलेहा / अट्टहिं बीइयतियंमी, तइए दस अट्ठहिं चउत्थे // 16 // रतिपि चउरो भागे, भिक्खू कुजा वियत्रणो / तयो उत्तरगुणे कुजा, राइभोगेसु चउसुवि // 17 // पढमं पोरिसि सज्झायं, बीयं झाणं झियायई / तइयाए निद्द. मुक्खं तु, चउत्थी भुजोवि सन्मायें // 18 // जं नेइ जया रत्तिं, नक्खत्तं तंमि नहचउभाए / संपत्ते विरमिजा, सज्झाय परोसकालम्मि // 11 // तंमेव य नक्खत्ते गयणं, चउभागसावसेसेमि। वेरत्तियपि कालं, पडिलेहित्ता मुणी कुजा // 20 // पुब्बिल्लंमि चउभागे, पडिलेहित्ताण भंडयं / गुरु वंदित्तु सज्झायं, कुजा दुक्खविमुक्खणिं // 21 // . पोरिसीए- चउभाए, वंदित्ता ण तो गुरु / अपडिकमित्त कालस्स, भायणं पडिलेहिए // 22 //