________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रयोदशमी दिमागः य // 35 // एवं तु संसए छिन्न, विजयघोसे य बंभ(माह)णे / समुदाय (संजाणतो) तथो तं तु, जयघोसं महामुणिं // 36 // तुट्टे य विजयघोसे, इणमुद्दाहु कयंजनी / माहणत्तं जहाभूयं, सुट्ट मे उबदंसियं // 37 // तुम्भे जझ्या जन्नाणं, तुझे वेयविदो विऊ / जोइसंगविऊ तुज्भे, तुम्भे धम्माण पारगा॥ 38 // तुम्भे समत्था उद्धत्तु, परं अप्पाणमेव य / तमणुग्गहं करेहऽम्हं भिक्खेणं भिक्खुउत्तमा // 31 // न कज्ज मज्म भिखेणं, खिप्पं निक्खमसू दिया। मा भमिहिसि भयावत्ते, घोरे (भवावत्ते दीहे) संसारसागरे // 40 // उबलेको होइ भोगेसु, अभोगी नोवलिप्पई / भोगी भमइ संसारे, अभोगी विप्पमुचई // 41 // उल्लो सुक्को य दो छूढा, गोलया मट्टियामया। दी वि श्रावहिया कुड्ड, जो उल्लो सोज्य लग्गई // 42 // एवं लग्गन्ति दुम्मेहा, जे नरा कामलालसा। विरत्ता उ न लग्गन्ति, जहा से सुक्कगोलए // 43 // एवं से विजयबोसे, विजयघोसस्स अन्तिए। अणगारस्स निक्खन्तो, धम्मं सु(तो)चा अणुत्तरं (गकेवलं) // 44 // खवित्ता पुनकम्माई, संजमेण तवेण य / जयघोस-विजयघोसा, सिद्धिं पत्ता अणुत्तरं // 45 // ति बेमि // // इति पञ्चविंशमध्ययनम् // 25 // . // 26 // अथ सामाचारीनामकं षड़विंशमध्ययनम् // ___सामायारिं पवक्खामि, सम्वदुक्ख-विमुक्खणिं / जं चरित्ता ण निग्गन्या तिराणा संसारसागरं // 1 // पढमा श्रावस्सिया नाम, बिइया य निसीहिया / श्रापुच्छणा य तइया, चउत्थी पडिपुछणा // 2 // पंचमा छंदणा नाम, इच्छाकारो य छट्ठयो / सत्तमो मिच्छकारो य, नहकारो य श्रट्ठमो // 3 // अभुटाणं च नवमा, दसमा उवसंपया। एसा दसंगा साहूणं, सामायारी पवेझ्या // 4 // गमणे श्राव