________________ [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः // त्रयोदश्चमी विभागः दोग्गइं गए / दुलहा तस्स उम्मग्गा, श्रद्धाए सुचिरादवि // 18 // एवं जियं सपेहाए, तुलिया बालं च पण्डियं / मूलियं ते पवेसन्ति, माणुसं जोणिमिन्ति जे // 11 // वेमायाहिं सिक्खाहिं, जे नरा गिहिसुव्वया / उवेन्ति माणुसं जोणिं, कम्मसच्चा हु पाणिणो // 20 // जेसि तु विउला सिक्खा, मूलियं ते अइच्छिया (अतिट्टिया, विउट्टिया) ।सीलवन्ता सवीसंसा, अदीणा जन्ति देवयं // 21 // एवमद्दीणवं भिक्खु, अागारिं च वियाणिया / कहराणु जिचमेलिक्खं, जिचमाणो न संविदे // 22 // जहा कुसग्गे उदगं, समुद्दण समं मिणे / एवं माणुस्सगा कामा, देवकामाण-मन्तिए // 23 // कुसग्गमेत्ता इमे कामा, सन्निरुद्ध म्मि पाउए / कस्म हेउं पुराकाउं, जोगक्खेमं न संविदे // 24 // इह कामाणियट्टस्स, अत्तठे अवरज्मई / सुच्चा (पत्तो) नेयाउयं, मग्गं, जं भुजो परिभस्सइ // 25 // इह कामा नियट्टस्स, अत्त8 नावरज्झइ / पूइदेह-निरोहेणं, भवे देवे तिमे सुयं // 26 // इड्ढी जुई जसो वराणो, अाउं सुहमणुत्तरं / भुजो, जत्थ मणुस्सेसु, तत्थ से उबवजई // 27 // बालस्स पस्त बालतं, अहम्मं पडिवजिया / चिचा धम्मं अहम्मि?, नरए उअवजई // 28 // धीरस्स पस्स धीरत्तं, सच्चधम्माणुवत्तिणो / चिचा अधम्मं धम्मि8, देवेसु उववजई // 21 // तुलियाण बालभावं, अवालं चेव पण्डिए / चइऊण बालभावं. अबालं सेवए मुणी // 30 // त्ति बेमि // ॥इति सप्तममध्ययनम् // 7 // // 8 // अथ कापिलीयाख्यमष्टममध्ययनम् // ... अधुवे असासयम्मि (अधुवंमि मोहगहणए) संसारम्मि दुक्खपउराए।कि नाम होज तं कम्मयं ?, जेणाहं दोग्गई न गच्छेजा (जेणाधं दुग्गई तो मुच्चेज) // 1 // विजहित्तु पुव्वसंजोगं, न सिणेहं कहिंचि कुवेजा। असिणेह. सिणेहकरेहिं दोसपउ(यो सेहिं मुच्चए भिक्खु // 2 // तो नाणदसण-समग्गो हियनिस्सेअसाए सबजीवाणं / तेसिं विमोक्खणढाए, भासई मुणिवरो