________________ 66 ] [नामदागमसुधासिन्धुः प्रयोदशमी विमाना माया पिया न्हुसा भाया, भजा पुत्ता य श्रोरसा / नालं ते मम ताणाय लुप्पन्तस्स सकम्मणा // 3 // एयमटुंसपेहाए, पासे समियदंसणे / छिन्द गेद्धिं (हिं) सिणेह च, न कळे पुव्वसंथवं // 4 // गवासं मणिकुडलं, पसवो दास पोरुसं। सबमेयं चइत्ताणं, कामख्वी भविस्ससि // 5 // थावरं जंगमं चेव, धणं धन्न उवक्खरं / पञ्चमाणस्स कम्मेहिं, नालं दुक्खाश्रो मोयणे // 6 // अज्झत्यं सव्वयो सव्वं, दिस्स पाणे पियायए / न हणे पाणिणो पाणे, भयवेरायो उवरए // 7 श्रादाणं नरयं दिस्स, नायइज्ज तणामवि / दोगुञ्छी अप्पणो पाए, दिन्न भुञ्जज भोयणं // 8 // इहमेगे उ मनन्ति, अप्पचक्खाय पावगं / पायरियं (अायाऽऽरियं) विदित्ता णं, सव्वदुक्खा विमुच्चई // 1 // भणन्ता अकरेन्ता य, बन्धमोक्खपइगिणणो / वायाविरियमेत्तेण, समासासन्ति अप्पयं // 10 // न चित्ता तायए भासा कयो विज्जाणुसासणं ? / विसन्ना पावकम्मे(किञ्च हिं, बाला पण्डियमाणिणो ? // 11 // जे केइ सरीरे सत्ता, वराणे रूवे य सव्वसो / मणासा वचसा चेव (कायवकणं), सब्वे ते दुक्खसंभवा // 12 // श्रावना दिहमद्धाणं, संसारम्मि अणन्तए / तम्हा सबदिसं पस्सं (पप्प), अप्पमत्तो परिव्वए // 13 // बहिया उड्ढमादाय नाऽवकंखे कयाइ वि। पुव्वकम्मखयट्ठाए, इमं देहं समुद्धरे (देहमुदाहरे) // 14 // विविच (विगिंच) कम्मुणो हेउं कालकंखी परिव्वए। मायं पिण्डस्स पाणस्स, कडं लभ्रूण भक्खए // 15 // सन्निहिं च न कुग्विजा, लेवमायाए संजए। पक्खीपत्तं समादाय, निरवेक्खो परिवए // 16 // सएणासमिश्रो लज्जू , गामे अणियथो चरे / अप्पमत्तो पमत्तेहिं, पिण्डवायं गवेसए // 17 // एवं से उदाहु, अणुत्तरनणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरनाणदंसणधरे अरहा नायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए // 18 // ति बेमि // ... ॥इति पटमभ्ययनम् // 6 //