________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 217 सुद्धहिक्या पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा कुम्भा इव गुनिंदिया विहग इव विप्पमुक्का खग्गिविसाणं व एगजाया भारंडपक्खीव अप्पमत्ता कुंजरो इव सोंडीरा वसभो इव जातत्थामा सीहो इव दुद्धरिसा मंदरो इव अप्पकंपा सागरो इव गभीरा चंदो इव सोमलेसा सूरो इव दित्ततेया जच्चकंचणगं (कणगं) व जातरूवा वसुंधरा इव सव्वकासविसहा सुहुयहुयासणो विव तेयसा जलंता // णत्थि णं तेसिं भगवंताणं कत्थवि पडिबंधे भवइ, से पडिबधे चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-अंडए इ वा पोयए इ वा उग्गहे इ वा पग्गह इ वा जन्नं जन्नं दिसं इन्छति तन्नं तन्नं दिसं यपडिबद्धा सुइभूया लहुभूया अप्पग्गंथा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति / तेसि णं भगवंताणं इमा एतारूवा जायामायावित्ती होत्था, तंजहा-चउत्थे भत्ते छठे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउदसमे भत्ते श्रद्धमासिए भने मासिए भत्ते दोमासिए तिमासिए चाउम्मासिए पंचमासिए छम्मासिए अदुत्तरं च णं उक्खित्तचरमा णिरिखत्तचरया उविखत्तणिक्खित्तचरगा अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा संसट्टचरगा असंसट्टचरगा तजातसंसट्टचरगा दिट्ठलाभिया अदिट्ठलाभिया पुठ्ठलाभिया अपुठलाभिया भिक्खलाभिया अभिक्खलाभिया अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमितपिंडवाइया सुद्धेसणिया अंताहारा पंताहारा बरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी आयंबिलिया पुरिमडिया निविगइया अमजमंसासिणो णो णियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उकडुवासणिया णेसजिया वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकंडया अणिठ्ठहा एवं जहोववाइए धुतकेसमंसुरोमनहा सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्का चिठ्ठति 2 // ते णं एतेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामनपरियागं पाउणंति 2 बहुबहु अावाहसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पञ्चक्खन्ति पञ्चक्खाइत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए