________________ प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्री आचारांग सूत्र मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छोए / वि. सं 2022 मा 'मणिसिद्ध मेघ मनोहर स्वाध्याय' रूपे गुजराती टाइपमा आ. स्त्र अमे प्रगट कयु हतु / हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करता आ सूत्र नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ ग्रन्थन संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल के। कामळ छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करता वधु आवे छे / मोटा टाइपमा मुद्रित कराता पेज वधारे थाय छ। परंतु टकवानी भने अभ्यासनी दृष्टिए अनुः कुलता रहेशे। आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छ / ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वांचनादिमां अनुकूलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता भमे आनंद अनुभविए छीए / श्री आचारांग सूत्रादि मूल सूत्रो प्रगट थइ रहयां छ / श्री सूत्रकृताङ्ग सूत्र तैयार थई गयु है। श्रीस्थानाङ्गसूत्रनु मुद्रण काम चालु छ। एज रीते सटीक आगमोमा श्रीमदन्तकृद्दशा, बने श्रीमदन्तरोपपातिकदशा तैयार थइ गया छे अने श्रीमदुपासकदशा सूत्रनु मुद्रण काम लि: पौर संवत् 2501 वि० सं० 2031 मागशार सुद 11 नेमचंद पाघजी गुढका नवीनचंद्र बाबुलाल शाह