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________________ 2] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः अणुदिसायो साहेति ॥सू० 8 // यणेगरूपायो जोणीयो संधेइ (संधारइ), विरूवरूवे फासे पडिसंवेदे ॥सू० 1 // तत्थ खलु भगवता परिगणा पवेश्या ॥सू० 10 // इमस्त चेव जीवियस्त परिवंदणमाणणप्यणाए जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेउं ॥सू० 11 // एयावंति सब्वावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियब्बा भवंति ॥सू० 12 // जस्सेते लोगंसि कम्मसमारंभा परिगणाया भवंति, से हु मुणी परिगणायकम्मे त्ति बेमि ।।सू० 13 // // इति प्रथमाद्देशकः // 1-1 // // अध्ययनं-१ उद्देशकः 2 // अटे लोए परिजुगणे दुस्संबोहे अविजाणए, यस्मि लोए पवहिए तत्थ तत्थ पुढो पास यातुरा परितावेति ॥सू. 14 // संति पाणा पुढो सिया लज्जमाणा पुढो पास; अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा, जमिणं विरुवरूवेहिं सत्येहिं पुढवीकम्मसमारंभेणं पुढवीसत्थं समारंभेमाणा अणेगरूवे पाणे विहिंसइ / तत्थ खलु भगवया परिगणा पवेड्या, इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेउं स सयमेव पुयोसत्यं समारंभइ, अराणेहिं वा पुढविसत्थं समारंभावेइ, अराणे वा पुढविसत्थं समारंभंते समणुजाणइ ॥सू. 15 // तं से अहियाए तं से अबोहीए से तं संबुज्झमाणे पायाणीयं समुट्ठाय सोचा खलु भगवयो अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसिं णात भाति-एस खलु गथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णरए, इच्चत्थं गडिए ल ए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं पुढविकम्मसमारंभेण पुढविसत्थं समारंभमाणे अराणे यणेगरूवे पाणे विहिंसइ, से बेमि, अप्पेगे अंधमभे अप्पेगे अंधमच्छे अप्पेगे पायमभे अप्पेगे पायमच्छे अप्पेगे गुप्फमब्भे अप्पेगे गुप्फमच्छे अप्पेगे जंघमन्भे (2) अप्पेगे जाणुमभे (2) अप्पेगे ऊरुमब्भे (2) अप्पेगे कडिमन्भे (2) अप्पेगे णाभिमभे (२)अप्पेगे उदमभे (2) अप्पेगे पासमन्भे (2) अप्पेगे पिट्ठिमन्भे (2) अप्पेगे
SR No.004360
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1974
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size16 MB
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