________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभाग भावणा 2 / अहावरा तच्चा भावणा-वई परिजाणइ से निग्गंथे, जा य वइ पाविया सावजा सकिरिया जाव भूयोवघाझ्या तहप्पगारं वई नो उच्चारिजा, जे वइं परिजाणइ से निग्गंथे, जाव वइ अपावियत्ति तच्चा भावणा 3 / अहावरा चउत्था भावणा-यायाणभंडमत्तनिवखेवणासमिए, से निग्गंथे, नो अणायभंडमत्त-निक्वेवणसमिए, केवली ब्रूया-यायाण--मंडमत्तनिक्वेवणाअसमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाइं सत्ताइं अभिहणिजा वा जाव उदविज वा, तम्हा बायाणभंडमत्तनिवखेवणासमिए से निग्गंथे, नो प्रायाणभंडमत्तनिवखेवणा--असमिएत्ति चउत्था भावणा 4 / ग्रहावरा पंचमा भावणा-यालोइय--पाणभोयणभोइ से निग्गंथे नो अणालोइय-पाणभोयणभोइ केवली बूया-प्रणालोइयपाणभोयणभोइ से निग्गंथे पाणाणि वा (4) अभिहणिज वा जाव उद्दविज वा, तम्हा यालोइय पाणभोयणभोइ से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोइति पंचमा भावणा 5 / 24 / एयावता महब्बए सम्मं कारण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए प्राणाए श्राराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महब्बए पाणाइवायायो वेरमणं 25 // ग्रहावरं दुच्चं महव्वयं पञ्चक्खामि, सव्वं मुसावायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिज्जा नेवन्नेणं मुसं भासाविजा अन्नपि मुसं भासंतं न समणुमनिजा तिविहं तिविहण मणमा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिक्कमामि जाव वोसिरामि 26 / / तस्लिमायो पंच भावणायो भवंति--तत्थिमा पदमा भावणा -अणुवीइभाली से निग्गंथे नो अणणुवीइभासी केवली ब्रूया-यणणुवीइभासी से निग्गंथे समावजिज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासित्ति पदमा भावणा 1 / अहावरा दुचा भावणा कोहं परियाणइ से निग्गंथे नो कोहणे सिया, केवली ब्रूया-कोहप्पत्ते कोहत्तं समावइजा मोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंथे न य कोहणे सियत्ति दुच्चा भावणा 2 / ग्रहावरा तच्चा