________________ 130 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः यणलेसं मुत्ताहलमुत्ताजालंतरोवियं तवणीय-पवरलंबूस-पलबंत--मुत्तदाम हारद्धहारभूसण-समोणयं अहियपिच्छणिज्जं पउमलयभत्तिचित्तं असोगलयभत्तिचित्तं कुंदलयभत्तिचित्तं नाणालयभत्तिविरइयं सुभं चारु कंतरूवं नागामणिपंचवन्न-घंटा-पडायपडिमंडियग्गसिहरं पासाइयं दरिसणिज्जं सुरूवं, 7 / सीया उवणीया जिणवरस्स-जरमरण--विप्पमुक्कस्स / अोसत्तमल्लदामा जलथलयदिव्वकुसुमहिं // 1 // सिबियाइ मझयारे दिव्वं वररयणरूवचिंचइयं / / सीहासणां महरिहं सपायपीढं जिणवरस्स // 2 // बालइयमालमउडो भासुरबुदी वराभरणधारी / खोमियवत्थनियत्थो जस्स य मुल्लं सयसहस्सं // 3 // छठेण उ भत्तेणं अज्भवसाणेण सुदरेण जिणो / लेसाहि विसुज्झतो पारुहई उत्तमं सीयं // 4 // सीहासणे निविट्ठो सकीसाणा य दोहि पासेहिं / वीयंति चामराहिं मणिरयणविचित्त-दंडाहिं // 5 // पुदि उक्खित्ता माणुसेहिं साहटु रोमकूवेहिं / पच्छा वहंति देवा सुरअसुरा गरुलनागिंदा // 6 // पुरयो सुरा वहंती असुरा पुण दाहिणंमि पासंमि / अवरे वहति गरुला नागा पुण उत्तरे पासे // 7 // वणसंडं व कुसुमियं पउमसरो वा जहा सरयकाले / सोहइ कुसुमभरेगां इय गगणयलं सुरगणेहिं // 8 // सिद्धत्थवां व जहा कणयारवां व चंपयवां वा / सोहइ कुसुमभरेणं इय गगणयले सुरगणेहिं // 1 // वरपडहभेरिझल्लरि-संखसय-सहस्सिएहिं तूरेहिं / गयणयले धरणियले तूरनिनायो परमरम्मो // 10 //