________________ देविदत्थओ अमियगइस्स वि विसओ जंबुद्दीवं तु पायपण्हीए। कंपेज निरवसेसं, इयरो पुण तं समइरेगं // 58 // एक्काए वायगुंजाए जंबुद्दीवं भरेज वेलंबो। तं चेव समइरेगं पभंजणे होइ बोद्धव्वं // 59 // घोसो वि जंबुद्दीवं सुंदरि ! एक्केण थणियसद्देणं / . . बहिरीकरिज सव्वं, इयरो पुण तं समइरेगं // 60 // एक्काए विज्जुयाए जंबुद्दीवं हरी पयासेज्जा / तं चेव समइरेगं हरिस्सहे होइ बोद्धव्वं // 61 / / एक्काए अग्गिजालाए जंबुद्दोवं डहेज अग्गिसिहो / तं चेव समइरेगं माणवए होइ बोद्धव्वं / / 62 / / तिरियं तु असंखेज्जा दीव-समुद्दा सएहिं रूवेहिं / अवगाढा उ करिजा सुंदरि ! एएसि एगयरो // 63 // पभू अन्नयरो इंदो जंबुद्दीवं तु वामहत्थेणं / छत्तं जहा धरेजा अयत्तओ मंदरं पित्तुं // 64 // जंबुद्दीवं काऊण छत्तयं, मंदरं च से दंडं / पभू अन्नयरो इंदो, एसो तेसिं बलविसेसो // 65 // एसा भवणवईणं भवणठिई वन्निया समासेणं / सुण वाणमंतराणं भवठिई आणुपुवीए // 66 // [वाणमंतराणं अट्ठ भेया ] पिसाय 1 भूया 2 जक्खा 3 य रक्खसा 4 किन्नरा 5 य किंपुरिसा 6 / महोरगा 7 य गंधव्वा 8 अविहा वाणमंतरिया // 67 / / 1. अत्र वाणमंतर शब्देन व्यन्तर-वानव्यन्तरसङ्ग्रहो ज्ञातव्यः //