________________ (III) सूर्यप्रज्ञप्ति : .. णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोएइ पण्णरस मुहुत्ताइ तीसमुहत्ताइ पणयालीस मुहुत्ताइ मणितव्वाईजाव उत्तरासादा। एवं अहोरत्ता छ एक्कवीसं मुहुत्ता य तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वीसं अहोरत्ता तिण्णि मुहुत्ता य सव्वे भणियव्वा / ' '. (क) सूर्यप्रज्ञप्ति-मुनि घासीलाल जी, भाग 2, सूच-८४. (ख) ज्योइसकरण्डग पइण्णय-गाथा 127-137.