________________ (xii ) अडयालीसं भाए, वित्थिण्ण सूरमंडलं होइ / चउवीसं खलु भाए, बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं // दो कोसे अगहाणं, णक्खताण तहवइ तस्सद्ध / तस्सद्ध ताराणं तस्सद्धं चेव बाहल्ले // ' सूर्यप्रज्ञप्ति : चंदोहितो सिग्घगइ सूरे सूरेहितो गहा सिग्घगई / गहेहितो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगइ, सव्वप्पंगइ चंदा सव्वसिंग्यगइ तारा / महड्ढिया वा ताराहिंतो महिड्ढिया णक्खत्तेहितो गहा महिड्ढिया गहेहितो सूरा महिड्ढिया सूरेहितो चंदा महिड्ढिया सव्वप्पड्ढिया तारा सव्वमहिड्ढिया चंदा // 2 . जीवाभिगमसूत्र : से जहन्नेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दो गाउयाई तारारूव जाव अंतरे पन्नत्ते। . - जहन्नेणं दोण्णि य छावटे जोयणसए उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोणि य बायाले जोयणसए तारारूवस्सरय अबाहाए अंतरे पन्नत्तरे 1. जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति, सातवाँ-वक्षकार, सूत्र 165. गणितानुयोग-मुनि कन्हैयालाल 'कमल', पृ०-४४७ से उद्धृत 2. सूर्यप्रज्ञप्ति-घासीलाल जी मुनि, प्राभृत-१८ सूत्र 95. 3. जोवाभिगम सूत्र-मुनि घासीलाल जी, पृ० 995, सूत्र-११६.