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________________ ( xxl ) आर्य भद्रबाहु आर्य सम्भूतिविजय स्थूलिभद्र आर्य महागिरि आर्य सुहस्ति सुस्थित सुप्रतिबुद्ध (अन्य दस) आर्य इन्द्रदिन्न शान्तिसेन ऋषिपालित ऋषिपालित का काल-उपर्युक्त गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार ऋषिपालित का क्रम भगवान् महावीर से बारहवां आता है अर्थात् इन दोनों के बीच दस आचार्य हए हैं। यदि हम प्रत्येक आचार्य का काल 30 वर्ष भी स्वीकार करें तो ऋषिपालित लगभग वीर निर्वाण सं० 300 के आसपास तो हुए ही होंगे। इस गुरु-शिष्य परम्परा में आर्य सुहस्ति को अशोक के पौत्र सम्प्रति का समकालीन माना है। आर्य सुहस्ति से आर्य ऋषिपालित का क्रम पाँचवां आता है अतः यह मानना होगा कि आर्य . * ऋषिपालित सम्प्रति से लगभग 100 वर्ष पश्चात् हए होंगे। सम्प्रति का शासन काल ईस्वी पूर्व 216-207 माना जाता है, इसमें 100 कम करने पर ऋषिपालित का काल ईस्वी पूर्व 107 के लगभग स्वीकृत होता है। अतः ऋषिपालित ईस्वी पूर्व प्रथम शताब्दी के उत्तरार्ध में जीवित रहे होंगे और तभी उन्होंने इस ग्रन्थ की रचना की होगी। अतः 'देविदत्थओ' का रचना काल लगभग ई० पू० प्रथम शताब्दी निश्चित होता है। यहाँ इस प्रश्न पर भी विचार करना आवश्यक है कि 'देवेन्द्रस्तव' को ईस्वी पूर्व प्रथम शताब्दी की रचना मानने में क्या बाधायें आ सकती हैं, इस संदर्भ में हमको इसकी भाषा-शैली और विषय-वस्तु की दृष्टि से
SR No.004356
Book TitleDevindatthao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size12 MB
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