________________ 102 देविदत्थओ 96. अप्पिड्ढिया [ ( अप्प ) + ( इड्ढिया ) 1 ( अप्प ) - ( इड्ढि ) 'य' स्वार्थिक 1/2 उ (अ)= पादपूरक तारा (तारा) मलशब्द 1/2 नक्खत्ता ( नक्खत्त ) 1/2 खलु ( अ ) = निश्चय ही तओ ( अ ) = उससे महिड्ढियए ( महिड्ढिय ) 'अ' स्वार्थिक 1/1 नक्खतेहि ( नक्खत्त ) 3/2 तु ( अ )=पादपूर्ति गहा (गह ) 1/2 गहेहिं (गह ) 3/2 सूरा ( सूर ) 1/2 तओ ( अ ) = इसी तरह चंदा (चंद ) 1/2 97. सव्वन्भिंतरऽभीई [ (सव्व) + (अन्भितर) + (अभीई)] [ (सव्व - (अभितर) - (अभीइ) 1/1] मूलो (मूल) 1/1 पुण (अ) - पादपूर्ति सव्वबाहिरो [ (सव्व) - (बाहिर) 1/1 वि] होइ. (हो) व 3/1 अक सव्वोवरि [(सव्व) + (उवरिं)] सव्व (सव्व) मूलशब्द 1/1 सवि उवरि (अ) = उपर च (अ) = और साई (साइ) 1/1 भरणी (भरणी) मूलशब्द 1/1 पुण (अ) = पादपूर्ति सव्वहिमिया [ (सव्व) - (हिट्ठिम) 'य' स्वार्थिक 1/1] . 98. सव्वे (सव्व) 1/1 गह-नक्खत्ता [ (गह)- (नक्खत्त) 1/2] मज्झे (मज्झ) 7/1 खलु (अ) = निश्चय ही होति (हो) व 3/2 अक चंदसूराणं [ (चंद)- (सर) 6/2] हिट्ठा (हिए) 1/2 समं (अ) = बराबर उप्पिं (अ) = ऊपर ताराओ (तारा) 1/2 चद-सूराणं [ (चंद) - (सूर) 6/2] च (अ) = और 99. पंचेव [ (पंच) + (एव) ] पंच (पंच) मूलशब्द 1/2 एव (अ) = निश्चय अर्थ में धणसयाई [ (धणु) - (सय) 1/2] जहन्नयं (जहन्न) 1/1 'य' स्वार्थिक अंतरं (अंतर) 1/1 तु (अ) = पादपूरक ताराणं (तारा) 6/2 दो (दो) 1/2 चेव (अ) = और गाउयाई (गाउय) 1/2 निव्वाघाएण (निव्वाघाअ) 3/1 उक्कोसं (उक्कोस) 1/1 100. दोनि (दो) 1/2 सए (सय) 7/1 छावळें* (छाव8) मूलशब्द 1/2 जहन्नयं (जहन्न) 1/1 'य' स्वार्थिक अंतरं (अंतर) 1/1 तु (अ) = पादपूर्ति ताराणं (तारा) 6/2 बारस (बारस) मूलशब्द 1/2 चेक