________________ देविदत्थओ तं (त) 1/1 स चेव (अ) = ही समइरेगं [ (समइय)+ (एग)] [ (समइय) - (एग) 1/1] हरिस्सहे (हरिस्सह) 1/1 होइ (हो) व 3/1 सक बोद्धव्वं (बोद्धव्व) विधि कृ 1/1 अनि 62. एक्काए (एक्का) 3/1 अग्गिजालाए [ (अग्गि) - (जाला) 3/1 ] जंबुद्दोवं (जंबुद्दीव) 2/1 डहेज्ज (डह) व 3/1 सक अग्गिसिहो (अग्गिसिह) 1/1 तं (त) 1/1 स चेव (अ) = ही समइरेगं [ (समइय) + (एग)] [(समइय) - (एग) 1/1] माणवए (माणवअ) 7/1 बोद्धव्वं (बोद्धव्व) विधि कृ 1/1 अनि 63. तिरियं* (तिरिय) 2/1 तु (अ) = पादपूर्ति असंखेज्जा (असंखेज्ज) 1/2 दीव-समुद्दा [ (दोव) - (समुद्द) 1/2] सरहिं (सअ) 3/2 रूवेहिं ( रूव ) 3/2 अवगाढा (अवगाढ ) भूकृ 1/2 अनि उ (अ) = पादपूरक करिज्जा (कर) व 3/1 सक सुंदरि (सुंदरी) 8/1 एएसि* (एम) 6/2 स एगयरो (एगयर) 1/1 * कभी कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137) * कभी-कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग सप्तमी विभक्ति के स्थान पर होता है / (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137) यहाँ एएसि होना चाहिए। 64. पभ (पभु) 1/1 अण्णयरो (अण्णयर) 1/1 ईदो (इंद) 11 जंबहीव (जंबुद्दीव) 2/1 वामहत्थे] [ (वाम)- (हत्थ) 3/1] छत्तं (छत्त) 2/1 जहा (अ) = जिस प्रकार घरेज्जा (धर) व 3/1 सक अयत्तओ (अयत्त) पंचमी अर्थक 'ओ' प्रत्यय मंदरं (मंदर) 2/1 घिसं (चित्तुं) सकृ अनि 65. जंबुद्दीवं (जंबुद्दोव) 2/1 काऊग (का) सकृ छत्तयं (छत्त) 'य' स्वार्थिक 1/1 मंदरं (मंदर) 2/1 च (अ) = और से (त) 6/1 स दंडं (दंड) 2/1 पभू (पभु ) 1/1 वि अन्नयरो ( अन्नयर ) 1/1 वि इंदो ( इंद ) 1/1 एसो ( एत ) 1/1 स तेसि (त) 6/2 स बलविसेसो [(बल)- (विसेस) 1/1]