________________ व्याकरणिक विश्लेषण 31. एसो ( एअ ) 1/1 स वि ( अ ) = भी ठिइविसेसो [ ( ठिइ)( विसेस ) 1/1] सुदररूवे ( सुंदररूवा ) 8! विसिटरूवाणं [ ( विसिट्ठ) - ( रूव ) 6/2 ] भोमिज्जसुरवराणं [ ( भोमिज्ज ) - ( सुरवर ) 6/2 ] सुण (सुण ) विधि 2/1 सक अणुभागे ( अणुभाग ) 2/2 सुणयराणं ( सु-णयर ) 6/2 32. जोयणसहस्समेगं [ ( जोयण ) + ( सहस्सं ) + ( एगं )] [(जोयण) - ( सहस्स)- ( एग ) 2/1 ] ओगाहित ण* ( ओगाह ) सक भवण-नगराई [ ( भवण ) - ( नगर ) 2/2 ] रयणप्पभाइ ( रयणप्पभा ) 7/1 सव्वे ( सव्व ) 1/2 स एक्कारस ( एक्कारस) मूलशब्द 1/1 जोयणसहस्से [ ( जोयण ) - ( सहस्स ) 1/1] * गमन के योग में द्वितीया आती है / 33. अंतो ( अ ) = भीतर से, चउरसा ( चउरंस ) 1/2 अहियमणो हरसहावरमणिज्जा [ ( अहिय )- ( मणोहर )- ( सहाव)( रमणिज्ज ) 1/2 ] बाहिरओ ( अ ) = बाहर से चिय (अ) = पादपूरक, वट्टा ( वट्टा) मूलशब्द 1/2 निम्मलवइरामया [ ( निम्मल ) - ( वइरामय ) 1/2 वि ] सव्वे ( सव्व ) 1/2 स 34. उक्किन्नतरफलिहा [ ( उक्किन्न ) + ( अंतर ) + ( फलिहा ) ] [( उक्किन्न ) वि - ( अंतर ) - ( फलिह ) 1/2 ] अभितरओ ( अ ) = भीतर, उ (अ) = पादपूरक भवणवासीणं ( भवणवासि ) 6/2 भवण-नगरा [ ( भवण ) - ( नगर ) 1/2] विरायंति (विराय ) व 3/2 अक कणगसुसिलिटुपागारा [ ( कणग)( सुसिलिट्ठ ) - ( पागार ) 1/2 ] 35. वरपउमकण्णियासंठिएहिं [ ( वर ) - ( पउम )- ( कण्णिया ) - ( संठिअ ) 3/2 वि ] हिट्ठा ( हिट्ठ ) 1/2 वि सहावलटेहि [ ( सहाव ) - ( लट्ठ ) 3/2 वि सोहिति ( सोह) व 3/2 अक ( आर्ष प्रयोग ) पइट्ठाणेहिं ( पइट्ठाण ) 3/2 विविहमणि भत्तिचित्तहिं [ (विविह) - (मणि) - (भत्ति) - (चित्त) 3/2 वि]