________________ 86 देविदत्थओ लोलाए (लीला) 7/1 ठिए ! (ठिा) 8/1 ठिईविसेसं [ (ठिइ)* - (विसेस ) 2/1 ] निसामेहि ( निसाम ) आज्ञा 2/1 सक * कभी कभी द्वितीया का प्रयोग प्रथमा के स्थान पर भी पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137 वृत्ति "चउसंपिजिनवरा" आर्ष ) ** समास पद में रहे हुए ह्रस्व के दीर्घ व दीर्घ के ह्रस्व हो जाते हैं। ( हेम प्राकृत व्याकरण 1/4 ) 28. चमरस्स (चमर) 6/1 सागरोवम (सागरोवम) मूलशब्द 1/1 सुंदरि ! (सुंदरी) 8/1 उक्कोसिया (उक्कोसिया) 1/1 ठिई (ठिइ) 1/1 भणिया ( भणिअ ) भूकृ 1/1 साहोया* (साहिय) 1/2वि बोद्धव्वा (बोद्धव्व) विधि कृ 1/2 अनि बलिस्स (बलि) 6/1 वइरोणिवस्स [(वइरोयण) + (इंदस्स)] [ (वइरोअण) (इंद) 6/1] * छन्द की मात्रा पूर्ति के लिए 'इ' का 'ई' किया गया है। 29. जे (ज) 1/2 स वाहिणाण (दाहिण ) 6/2 इंदा ( इद ) 1/2 चमरं ( चमर ) 2/1 मोत्तूण (मोत्तूण) सकृ अनि सेसया (सेस) 'य' स्वार्थिक 1/2 भणिया ( भण ) भूकृ 1/2 पलिओवमं ( पलिओवम ) 1/1 दिवड्ढे (दिवडढ) 1/1 ठिई (ठिइ ) 1/1 उ (अ) = पादपूर्ति उक्कोसिया ( उक्कोसिया) 1/1 तेसि ( त ) 6/2स 30. ने (ज) 1/2 स उत्तरेण* ( उत्तर) 3/1 इंदा (इद) 1/2 बलि ( बलि ) 21 पमोत्तूण (पमोत्तूण ) सकृ अनि सेसया (सेस) 1/2 "य" स्वार्थिक भणिया (भण) भूकृ 1/2 पलिओवमाइ (पलिओवम ) 1/2 दोण्णि (दो) 1/2 उ ( अ ) = पादपूर्ति देसणाई (देसूण ) 1/2 ठिई (ठिइ) 1/1 तेसि ( त) 6/2स कभी-कभी तृतीया विभक्ति का प्रयोग सप्तमी विभक्ति के स्थान पर पाया जाता है / ( हेम प्राकृत व्याकरण 3/137)