________________ देविदत्थओ [(हास ) - ( रस ) 2/1] उवहंतीए ( उव्वह→उव्वहंत स्त्री →उव्वहंती-उवहंतीए) 3/1] पडिपुच्छिओ (पडिपुच्छ) भूक 1/1 पियाए (पिआ) व 3/1 भणइ (भण) 3/1, अक सुयण (सुयणु) वि 8/1 तं ( त ) 2/1 स निसामेह* ( निसाम ) विधि 2/2 सक * आदरसूचक शब्दों में बहुवचन का प्रयोग होता है। 12. सुयणाणसागराओ [( सुयणाण ) - ( सागर ) 5/1 ] सुणिउं (सुण) संकृ पडिपुच्छणाइ* (पडिपुच्छण) 2/2 जं (ज) 1/1 सविलद्धं ( लद्ध ) भूकृ 1/1 अनि सुण ( सुण ) विधि 2/1 सक वागरणावलियं [ ( वागरण ) + ( आवलियं ) ] [ ( वागरण)( आवलिय ) भूक 1/1 नामावलियाइ [ (नाम) + ( आवलियाइ)] [ ( नाम ) - ( आवलि ) 'य' स्वार्थिक 2/2 इंदाणं ( इंद ) 6/2 * कभी-कभी द्वितीया विभक्ति का प्रयोग सप्तमी विभक्ति के स्थान पर पाया जाता है / ( हेम प्राकृत व्याकरण 3/137 ) . 13. सुण ( सुण ) विधि 2/1 सक वागरणावलियं [ ( वागरण ) + ( आवलियं ) 1 [ ( वागरण ) - ( आवलिय ) भूक 2/1 )) रयणं ( रयण ) 2/1 व ( अ ) = पादपूर्ति पणामियं ( पणामिअ ) भूक 2/1 च ( अ ) = और वीरेहि (वीर) 3/2 तारावलि [ (तारा)+ ( आवलि ) ] [ ( तारा ) - ( आवलि ) मूलशब्द 1/1) व्व (अ) = तरह धवलं (धवल ) 2/1 हियएण ( हिय-हिअय ) 3/1 पसन्नचित्तेणं [ ( पसन्न ) - (चित्त ) 3/1 ] 14. रयणप्पभापुढवीनिकुडवासो [( रयणप्पभा ) - ( पुढवी ) ( निकुड )* - ( वासि ) 2/2 वि ] सुयणु ( सुअणु) 8/1 तेउलेसागा ( तेउलेसा ) 'ग' स्वार्थिक 2/2 वि वीसं ( वीस )** 2/1 विकसियनयणा [(विकसिय) भूक- ( नयणा) 8/2] भवणवई [ ( भवण ) - (वइ) 2/2 ] मे ( अम्ह ) 3/1 स निसा मेह ( निसाम ) विधि 2/2 सक / * निकुड = णिउड्ड = ( निमग्न ) ( पाइय सद्दमहण्णवो) ** वीसं एकवचन है जबकि होना बहुवचन में चाहिए था। *