________________ व्याकरणिक विश्लेषण 81 8. कयरे ( कयर ) 1/1 स ते (त) 1/1 सवि, बत्तीसं (बत्तीस) 2/1 देविदा ( देविंद ) 1/2 को ( क ) 1/1 स कत्थ ( अ ) = कहां, व (अ) = और परिवसइ ( परिवस ) व 3 1 अक, केवइया ( केवइय ) 1/2 वि कस्स ( क ) 6/1 स ठिई ( ठिइ ) 1/1 को ( क ) 1/1 स भवणपरिग्गहो [ ( भवण ) - ( परिग्गह) 1/1 ] कस्स (क) 6/1 स / 9. केवइया ( केवइय ) 1/2 वि विमाणा ( विमाण ) 1/2 भवणा (भवण ) 1/2 नगरा ( नगर ) 1/2 टुति (हु ) व 3/2 अक, पुढवीण ( पुढवि-पूढवी ) 6/2, च (अ) = और बाहल्लं (बाहल्ल) 1/1 उच्चत ( उच्चत ) मूल शब्द 1/1 विमाणवतो [ ( विमाण ) - ( वन्न ) 1/1 ] वा ( अ ) = और। 10. के ( क ) 1/2 स केणाऽऽहारंति [ ( केण + ( आहारंति ) ] [( क ) 3/1 वि - ( आहार ) व 3/2 सक ] कालेणुक्कोस [( कालेणं ) + ( उक्कोस)] कालेणं* ( काल ) 3/1 उकोस ( उक्कोस ) मूल शब्द 3/1 वि मज्झिम (मज्झिम) मल शब्द 3/1 वि जहण्णं** ( जहण्ण ) 2/1 वि उस्सासो ( उस्सास ) 1/1 निस्सासो (निस्सास) 1/1 ओहीविसओ [ (ओहि***) - (विसअ) 1/1 ] को ( क ) 1/1 सवि केसि ( क ) 7/2 स / .. * कभी-कभी सप्तमी विभक्ती के स्थान पर तृतीया का प्रयोग पाया जाता है / (हेम प्रा० व्या० सूत्र 3/137 वृत्ति)। ** कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है / (हे० प्रा० व्या० 3/137) *** समासगत शब्दों में रहे हुए स्वर परस्पर में ह्रस्व के स्थान पर दीर्घ हो जाया करते हैं / (हे० प्रा० व्या० 1/4) 11. विणओवयारउवहम्मियाइ [ ( विणय ) + ( उवयार ) + ( उवह म्मियाइ ) ] [ ( विणय ) - ( उवयार )- ( उवहम्म ) भूकृ 1/2] हासरसमुन्वहंतीए [ ( हास ) + ( रसं ) + ( उव्वहंतीए ) ]