________________ 48 देविदत्थओ गेवेज्जेसु य देवा रयणीओ दोन्नि होंति उच्चा उ। रयणी पुण उच्चत्तं अणुत्तरविमाणवासीणं // 196 // कप्पाओ कप्पम्मि 'उ जस्स ठिई सागरोवमऽब्भहिया / 'उस्सेहो तस्स भवे इक्कारसभागपरिहीणो // 197 / / जो य विमाणुस्सेहो "पुढवीण य जं च होइ बाहल्लं। / दोण्हं पि तं पमाणं बत्तीसं जोयणसयाइ॥ 198 / / ... [देवाणं पवीयारणा] भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिया हुंति कायपवियारा / कप्पवईण वि सुंदरि ! वोच्छं पवियारणविही उ 199 // सोहम्मीसाणेसु च सुरवरा होंति कायपवियारा / सणंकुमार-माहिदेसु 'फासपवियारया देवा / / 200 // बंभे लंतयकप्पे य सुरवरा होंति 'रूवपवियारा / महसुक्क-सहस्सारेसु सद्दपवियारया देवा // 201 // आणय-पाणयकप्पे आरण तह अच्चुएसु कप्पम्मि / देवा मणपवियारा परओ पवियारणा नत्थि // 202 // [ देवाणं गंधो दिठ्ठी य] गोसीसाऽगुरु-केययपत्ता -पुन्नाग-बउलगंधा य। चंपय-कुवलयगंधा तगरेलसुगंधगंधा य // 203 // 1. य सं० / / 2. उस्सेहे तस्स भवे एक्कारसभागपरिहाणी हं० / उस्सेहे तस्स भवे एवकारसभागपरिहीणा सं० प्र०॥ 3. वीण इ जं प्र० / वीणं जं सा० // 4. परिया' सं०॥ 5. °साणेसुं सु° सं० विना / / 6. रूयपरिया सं० // 7. °रा तेण वरेणं अपवियारा हं० / °रा तेण परं तू अपवियारा प्र०॥ 8. पत्ते पु० सं० //