SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देवेन्द्रस्तव 27 . [ताराचन्द्र, नक्षत्रचन्द्र व नक्षत्रसूर्य का साथ गति काल परिमाण] 101. यह (जो) चन्द्रयोग (कहा गया है। इसकी सड़सठ खण्डित अहोरात्रि, नौ मुहूर्त और सत्ताईस कलाएं होती हैं। 102. शतभिषज्, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति और ज्येष्ठा (ये छः नक्षत्र हैं)। ये छः नक्षत्र पन्द्रह मुहूर्त संयोग (वाले कहे गये हैं)। 103. तीन उत्तरा नक्षत्र (-अर्थात् उत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषाढा) तथा पूर्णवसु, रोहिणी और विशाखा, ये छः नक्षत्र (चन्द्रमा के साथ) पैतालिस मुहूर्त का संयोग (करते हैं)। 104. शेष पन्द्रह (नक्षत्र चन्द्रमा के साथ) तीस मुहूर्त का योग (करने वाले) होते हैं। यह चन्द्रमा के साथ नक्षत्रों का योग जानना चाहिए। ___105. अभिजित् नक्षत्र सूर्य के साथ चार अहोरात्रि और छः मुहूर्त एक साथ गमन करता है। इसी प्रकार शेष के सम्बन्ध में (मैं) कहता हूँ। 106. शतभिषज़, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति और ज्येष्ठा (ये छः नक्षत्र) छ: अहोरात्रि और इक्कीस मुहूर्त तक (सूर्य के साथ) भ्रमण करते हैं। 107. तीन उत्तरा नक्षत्र (अर्थात् उत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी 'और उत्तराषाढ़ा) तथा पुनर्वसु, रोहिणी और विशाखा, (ये छ: नक्षत्र) बीस अहोरात्रि और तीन मुहूर्त तक (सूर्य के साथ) भ्रमण करते हैं। 108. शेष पन्द्रह ही नक्षत्र, तेरह अहोरात्रि और बारह मुहूर्त सूर्य के साथ-साथ भ्रमण करते हैं। - 109. दो चन्द्र, दो सूर्य, छप्पन नक्षत्र, एक सौ छिहत्तर ग्रह, जम्बूद्वीप के ऊपर विचरण करने वाले हैं।
SR No.004356
Book TitleDevindatthao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy