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________________ [9 4, 11-20] चउत्यो उद्देसओ संपज्जिताणं विहरितए। ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पर अन्नं गणं उपसंपज्जिताणं विहरित्तए / 16. गणावच्छेइए य गणायवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ गणावच्छेदयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पड़ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / नो से कप्पह अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छे- 5 इयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पड़ से आपुच्छिता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए। ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए; ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पद अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / 17. आयरियउवज्झाए य गणायवकम्म इच्छेज्ना अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; नो कप्पड़ आयरियउवज्झायस्म आयरियउवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए:10 कप्पइ आयरियउवज्ायस्स आयरियउवमायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए। नो से कप्पड अणापत्तिा आयरियं वा जाव गणावच्छेडयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए: कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / 15 18. भिक्खू य गणायवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरितए, नो से कप्पड़ अणापच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पवत्तिं वा थेरं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरन्ति,एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए 20 उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।१९. गणावच्छेइए यगणायवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ गणावच्छेइयरस गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं 25 संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयारयं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपन्जिताणं विहरित्तए / कप्पड़ से आपच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए; ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा, 30 एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताण विहरित्तए / 20. आयरियउवज्झाए य गणायवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ आयरियउव 3 K.S.
SR No.004353
Book TitleKalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size9 MB
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