________________ भ० महावीर-जो जीव अधार्मिक यावत्, अधार्मिक वृत्तिवाले हैं उनका दुर्बल होना अच्छा है। क्योंकि वे बलवान् हों तो अनेक जीवों को दुःख देंगे। किन्तु जो जीव धार्मिक हैं यावत् धामिकवृत्ति वाले हैं उनका सबल होना ही अच्छा है क्योंकि उनके सबल होनेसे वे अधिक जीवोंको सुख पहुँचायेंगे। इसी प्रकार अलसत्व और दक्षत्वके प्रश्नका भी विभाग करके भगवानने उत्तर दिया है। -भगवती श० 12, उ. 2. सू० 443 / गौतम-भन्ते ! जीव सकम्प है या निष्कम्प ? ' भ० महावीर-गौतम ! जीव सकम्प भी हैं और निष्कम्प भी। गौतम-इसका क्या कारण है ? भ० महावीर-जीव दो प्रकारके हैं-संसारी और मुक्त / मुक्त जीवके दो प्रकार है-अनन्तर सिद्ध और परम्पर-सिद्ध / परंपर-सिद्ध तो निष्कम्प है और अनन्त र सिह सकम्प / संसारी जीवोंके भी दो प्रकार है-शैलेशी और अशैलेशी। शैलेशी जीव निष्कम्प होते हैं और अशैलेशी सकम्प होते हैं / -भगवती श० 25, 3c : गौ०-जीब सवीर्य है या अवयं ? भ० महावीर-जीव सवीर्य को हैं और अवीर्य भी। गौ०-इसका क्या कारण ? भ० महावीर-जीव दो प्रकार के हैं-संसारी और मुक्त / मुक्त तो अवार्य है। संसारी जीवके दो भेद है-शैलेशी-तिपन्न और अशैलेशी-प्रतिपन्न / शैलेशी-प्रतिपन्न जीव लविधवीर्य की अपेक्षासे सवीर्य हैं किन्तु करणवीर्य की अपेक्षासे अवीर है और अशैलेशी-प्रतिपन्न जीव लब्मिवीर्य की अपेक्षासे सवीर्य हैं किन्तु करणवीर्य की अपेक्षासे सवीर्य भी हैं और वीर्य भी। जो जीव पराक्रम करते हैं ये करणवीर्य की अपेक्षासे सवीर्य हैं और जो अपराक्रमी हैं वे करणवीर्यकी अपेक्षा से अवीर्य हैं। - भगवती श० 1, उ० 8, सू० 72 1. मूल में सेय-निरेय ( सेज निरेज ) है / तुलना करो-"तदेजति तन्नै जति ईशावास्योपनिषद् 5 /