________________ // अणुत्तरोववाइयदसाओ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे / अजसुहम्मस्स समोसरणं / परिसा निग्गया जाव जम्बू पञ्जवासइ, 2 एवं वयासी-“जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अङ्गस्स अन्तगडदसाणं अयमढे पन्नत्ते, नवमस्स णं, भन्ते, अङ्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं जाव संपत्तेणं के अटे पन्नते ?" // 162 // तए णं से सुहम्मे अणगारे जस्बु अणगारं एवं वयासी"एवं खलु, जम्बू , समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अङ्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं तिणि वग्गा पन्नत्ता"॥१६३॥ "जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अङ्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं तओ वग्गा पन्नत्ता, पढमस्स णं, भन्ते, वग्गस्स अशुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपतेणं कइ अज्झयणा पन्नत्ता?" // 164 // "एवं खलु, जम्बू , समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता। तं जहा जालिं मयालि उवयालि पुरिससेणे य वारिसेणे य / दीहन्ते य लट्ठदन्ते य वेहल्ले वेहासे अभए इ य कुमारे //