________________ अन्तगडदसासु [१४४तयाणन्तरं च णं तच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेइ, २अलेवाडं पारेइ, सेसं तहेव // 144 // एवं चउत्था परिवाडी, नवरं सव्वपारणए आयम्बिलं पारेइ, सेसं तं चेव / “पढमम्मि सव्वकामं पारणयं बिइयए विगइवजं / तइयम्मि अलेवाडं आयम्बिलमो चउत्थम्मि // 1 // 145 // तए णं सा काली अजा रयणावलीतवोकम्मं पञ्चहिं संवच्छरेहिं दोहि य मासेहिं अट्ठावीसाए य दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव अजवन्दणा अजा तेणेव उवागच्छइ, अजचन्दणं अजं वन्दइ नमंसइ, 2. बहूहिं चउत्थ जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ। तए णं सा काली अजा तेणं ओरालेणं जाव धमणिसंतया जाया यावि होत्था, से जहा इङ्गाल जाव सुहुयहुयासणे इव भासरासिपडिच्छन्ना तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव उवसोभेमाणी चिट्ठइ // 146 // तएणं तीसे कालीए अजाए अन्नया कयाइ पुब्वरत्तावरत्तकाले अयं अब्भत्थिए,जहा खन्दयस्स चिन्ता तहा,जाव"अस्थि उट्ठाणे...ताव मे सेयं कल्लं जाव जलन्ते अजचन्दणं अजं आपुच्छित्ता अजचन्दणाए अजाए अब्भणुनायाए समाणीए संलेहणाझूसणा भत्तपाणपडियाइक्खियाए कालं अणवकंखमाणीए विहरित्तए"त्ति का एवं संपेहेइ / 2 कल्लं जेणेव अजचन्दणा अजा तेणेव उवागच्छइ, 2 अजवन्दणं वन्दइ नमंसइ, 2 एवं वयाली-“इच्छामि णं, अजो, तुम्भेहिं अब्भगुन्नाया समाणी संलेहणा जाव विहरित्तए"। "अहासुहं..."। तए णं सा काली अजा अजचन्दणाए अब्भणुन्नाया समाणी संलेहणाझसिया जाव विहरइ / सा काली अजा अजचन्द