________________ ___ अन्तगडदसासु [११९विहरित्तए” त्ति कट्ट अयमेयारूवं अभिग्गहं उग्गिण्हइ, 2 जावजीवाए जाव विहरइ // 119 // तए णं से अजुणए अणगारे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमपोरिसीए सज्झायं करेइ, जहा गोयमसामी. जाव अडइ। तए णं तं अजुणयं अणगारं रायगिहे नयरे उच्च जाव अडमाणं बहवे इत्थीओ य पुरिसा य डहरा य महल्ला य जुवाणा य एवं वयासी-“इमे णं मे पियामारए भायामारए भगिणीमारए भजामारए पुत्तमारए ध्यामारए सुण्हामारए, इमेण मे अन्नयरे सयणसंबन्धिपरियणे मारिए" त्ति कट्ट अप्पेगइया अकोसन्ति, अप्पेगइया हीलन्ति निन्दन्ति खिंसन्ति गरिहन्ति तज्जेन्ति तालेन्ति / तए णं से अजुणए अणगारे तेहिं बहूहिं इत्थीहि य पुरिसेहि य डहरेहि य महल्लेहि य जुवाणएहि य आओसिजमाणे जाव तालिजमाणे तेसिं मणसा वि अप्पदुस्समाणे सम्म सहइ सम्मं खमइ तिइक्खइ अहियासेइ। सम्मं सहमाणे खममाणे तिइक्खमाणे अहियासेमाणे रायगिहे नयरे उच्चनीयमज्झिमकुलाई अडमाणे जइ भत्तं लहइ तो पाणं न लहइ, जइ पाणं तो भत्तं न लहइ / तए णं से अज्जुणए अदीणे अविमणे अकलुसे अणाइले अविसादी अपरितन्तजोगी अडइ, 2 रायगिहाओ नयराओ पडिनिक्खमइ, 2 जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, जहा गोयमसामी, जाव पडिदंसेइ, 2 समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुनाए अमुच्छिए 4 बिलभिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं आहारेइ / तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहाओ नयराओ पडिनिग्गच्छइ, 2 बहिं जणवयविहारं विहरइ // 120 //