________________ _ मि -उक्तं च वक्ष्यते यान्यपन तु केश ध्यत्ते। ------ बीजवनागवन्मूलवृक्षव-तुषवत्तथा // 36 // क्षितण्डलवत्कर्म तथवाषधि पुष्पवत / सिद्धान्त पानववस्तु तस्मिन् भव चतुष्टये // 3 // उपपत्तिभव: किष्टः सर्व कौः स्वभूमिकै / निधान्ये त्रय आरुष्यवाहारस्थितिकं जगत् // 3 // कवडी कार आहार: कामे त्र्यायतनात्मकः। न रुपायतनं तन स्वासमुक्ताननुग्रहात / / 39 / / स्पर्शसंचेतना विज्ञा आहारा साठावास्त्रिषु) मनोमयः संभवैषी गन्धर्वश्चान्तरा भवः // 40 // निवृत्तिञ्चहलपुष्ट्यर्थ माश्रयाश्रितयो ?यम् / | द्वय मन्यभनाक्षेप निर्वृत्त्यर्थ यथा क्रमम् // 49 // छेदसन्धान वैशम्य हानिच्युन्युपपत्तयः। मोविज्ञान एरा उपायां च्युतोवौ // 43 // / नैकायाचित्तमऐतो नित्यव्याक्तदये। क्रमच्यतो पादानाभिहृदयेषु मन ध्युतिः // 43 // अधो नृसुर गजानां मर्मछेदः व्ववादिभिः। सम्यध्यिात्व नियता आनिन्तर्यकारिणः // 44 // स्वस्वभ