________________ तत्त्वसार भवन्ति / उपरितनस्वर्गेषु महानिकमेण हस्तकप्रमाणं शरीरं भवति / आगमानुसारेणान्यदपि सातव्यमिति गतिमार्गमा समाप्ता // 1 // बनियमागंणा कन्यते। तबचा-एकेखियजातो चतसृगतिमध्ये तिर्यग्गतिरेकैव भवति 1 / पोनियाणा मध्ये इन्द्रियमेकमेव स्पर्शनेन्द्रियम् / षणिकायानां मध्ये कायाः पृथिव्यावयः पञ्च पञ्चायोगमको योगास्य-बोवारिकौवारिकमिधकामणकाययोगाः४वेदत्रयमध्ये बेदमेक नपुंसकम् 5 / पञ्चविंशतिकवायाणां मध्ये योग्य कवायाः 16 / हास्यादि षट्, नपुंसक चेको वेदः 6 / मानाष्टकमध्येशानदयं 2 कुमतिः कुवतिः 7 / संयमसप्तकमध्ये एकोऽसंयमः 8 / वर्शनचतुष्टयमध्ये दर्शनमेकं अचः९। लेश्याषट्कमध्ये कृष्णावित्रयम् 10 / भव्याभव्यमध्ये द्वयमेव 11 / सम्यक्त्वषट्कमध्ये मिथ्यात्वमेकम् 12 / संशिद्वयमध्ये एकमसंशिकम् 13 / आहारकद्वयमध्ये आहारक एक एव(?) 14 / चतुर्दशगुणस्थानमध्ये गुणस्थानमेकं मिथ्यात्वम् 15 / एकोनविशति जीवसमासमध्ये चतुवंश स्थावराः 16 / षट्पर्याप्तिमध्ये आहार-शरोरेन्द्रियोच्छ्वासनिःस्वासचतुष्टयम् 17 / बशप्राणमध्ये प्राणाश्चत्वारः 18 / संज्ञाचतुष्टयमेव 4 आहार-भय-मैथुनपरिप्रहरूपम् १९हावशोपयोगमध्ये उपयोगत्रयम्-कुमति-कुश्त्यचारिति २०॥षोडशध्यानमध्ये ध्यानाष्टकम्-आतं(चतुष्क)रोब(चतुष्क) 21 / सप्तपञ्चाशत्प्रत्ययमध्ये 57 अष्टत्रिंशत्प्रत्यया भवन्ति / मिन्यात्व पञ्च 5, अविरति 7, कवाय 23 योग 3 इति 22 / चतुरशीतिलक्षजातिमध्ये आत्माको नहीं देखते हैं। इन दीनों स्वर्गाके देवोंके शरीरकी ऊंचाई सात हाथ-प्रमाण है। इनसे ऊपरके स्वर्गामें क्रमशः हानिके क्रमसे अनुत्तर विमानवासी देवोंका. शरीर एक हाथप्रसाण होता है। इसके अतिरिक्त अन्य भी विशेष कथन आगमके अनुसार जानना चाहिए / इस प्रकार गति मार्गणाका वर्णन समाप्त हुआ है। अब इन्द्रियमार्गणा कहते हैं / यथा-चार गतियोंमेंसे एकेन्द्रियजातिमें केवल एक तियंग्गति ही होती है 1 / पांच इन्द्रियोंमेंसे एक ही स्पर्शनेन्द्रिय होती है 2 / छह कायोंमेंसे पृथिवी आदि पांच काय होते हैं 3 / पन्द्रह योगोंमेंसे औदारिक काययोग, औदारिक मिश्रयोग और कार्मणकाययोग ये तीन योग होते हैं 4 / तीन वेदोंमेंसे एक नपुंसक वेद होता है 5 / पच्चीस कषायोंमेंसे सोलह कषाय, हास्यादि छह नोकषाय और एक नपुंसकवेद ये तेईस कषाय होती हैं 6 / आठ ज्ञानोंमेंसे कुमति और कुश्रुत ये दो अज्ञान होते हैं 7 / सात संयमोंमेंसे एक असंयम होता है 8 / चार दर्शनोंमेंसे एक अचक्षुदर्शन होता है 9 / छह लेश्याओं से कृष्णादि तीन अशुभ लेश्याएं होती हैं 10 / भव्य मार्गणामेंसे एकेन्द्रिय जातिमें भव्य और अभव्य दोनों होते हैं 11 / छह सम्यक्त्वोंमें से एक मिथ्यात्व होता है 12 / संज्ञिमार्गणाके दो भेदोंमेंसे एक असंज्ञिपना होता है 13 / आहारक मार्गणाके दो भेदोंमेंसे एक आहारक (?) ही होता है 14 / चौदह गुणस्थानोंमेंसे एक मिथ्यात्व गणस्थान होता है 15 / उन्नीस जीबसमासोंमेंसे स्थावरकायसम्बन्धी चौदह जीवसमास होते हैं 16 / छह पर्याप्तियोंमेंसे आहार, शरीर, इन्द्रिय और श्वासोच्छ्वास ये चार पर्याप्तियां होती हैं 17 / दश प्राणोंमेंसे चार प्राण होते हैं 18 / आहार, भय, मैथुन और परिग्रह ये चारों ही संज्ञाएं होती हैं 19 / बारह उपयोगोंमेंसे कुमति, कुश्रुत और अचक्षुदर्शन ये तीन उपयोग होते हैं 20 / सोलह ध्यानोंमेंसे आतंचतुष्क और रोद्रचतुष्क ये आठ ध्यान होते हैं 21 / सत्तावन बन्ध-प्रत्ययों से मिथ्यात्व पांच 5, अविरति सात 7, कषाय तेईस 23, और योग तीन 3, इस प्रकार अड़तीस