________________ 126 तत्वसार मोहे क्षीणकषाये द्वावशे गुणस्थाने / मोहे क्षीणे सति कानि क्षीयन्ते ? 'घाइकम्माणि घातिकर्माणि द्रव्यकर्माणि भानावरणादीनि / कियन्ति ? 'सेसाणि य' शेषाणि समस्तानि घातीनि कर्माणीति ज्ञात्वा मनोवशीकरणे यत्नो विधेयो भव्यैरिति भावार्थः // 6 // अथ दृष्टान्तद्वारेण वाष्र्टान्तं मोहराजाभावफलं दर्शयन्तीति सूत्रकर्तारस्तद्यथा-- मूलगाथा-णिहए राए सेण्णं णासइ सयमेव गलियमाहप्पं / तह णिहयमोहराए गलंति णिस्सेसघाईणि // 65 / / संस्कृतछाया-निहते राशि सैन्य नश्यति स्वयमेव गलितमाहात्म्यम् / ___ तथा निहते मोहराजे गलन्ति निःशेषघातीनि // 65 // टीका-णिहए राए सेणं णासइ सयमेव गलियमाहप्पं' इत्यादि व्याख्यानं क्रियते टोकाकारेण यतिना-तथा राशि नरेन्द्र निहते विनष्टे सति सैन्यं स्वयमेव नश्यति / कथम्भूतं सत् ? आगें कहें हैं-मोहकू नाश होत संत समस्त घातिया कर्म नाशकू प्राप्त होय हैं भा० व०-जैसें राजाकू मरण प्राप्त होते संते सैन्य है सो स्वयमेव नाशे है भागे है / कैसे भागे है ? नष्ट भया है माहात्म्य जाका। इहां दार्टान्त कहै हैं-तैसे मोह राजाकं नाश होत संतै / काहे करि? ज्ञान-खड्गकरि / कहा होय ? समस्त घातिया कर्म नाशकू प्राप्त होय हैं // 65 // . जिससे या जिस आत्मामें वह मोह क्षय हो गया है, उसे क्षीणमोह या क्षीणकषाय कहते हैं। प्रश्न-मोहके क्षीण होनेपर कौन-कौन नष्ट हो जाते हैं ? उत्तर-'घाइकम्माणि' घाती कर्म ज्ञानावरणादिक नष्ट हो जाते हैं। प्रश्न-वे घातिकर्म कितने हैं ? - उत्तर-'सेसाणि य' शेष समस्त घातिकर्म जो ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय ये द्रव्यकर्म हैं वे समस्त नष्ट हो जाते हैं। ऐसा जानकर भव्य पुरुषोंको मनके वश करनेमें यत्न करना चाहिए। यह इस गाथाका भावार्थ है // 6 // अब सूत्रकार दृष्टान्त द्वारा दार्टान्तरूप मोहराजके अभावका फल दिखलाते हैं'अन्वयार्थ (राए) राजाके (णिहए) मारे जानेपर जैसे (गलियमाहप्पं) जिसका माहात्म्य गल गया है ऐसी (सेण्णं) सेना (सयमेव) स्वयं ही (णासइ) नष्ट हो जाती है, (तह) उसी प्रकार (णिहयमोहराए) मोहराजाके नष्ट हो जानेपर (णिस्सेसघाईणि) समस्त घातिया कर्म (गलंति) स्वयं ही गल जाते हैं। _____टोकार्थ-'णिहए राए सेण्णं' इत्यादि गाथाका टीकाकार मुनि अर्थ-व्याख्यान करते हैंजैसे युद्धस्थलमें राजाके निहत अर्थात् विनष्ट होनेपर सेना स्वयं ही नष्ट हो जाती है। .