________________ 123 174) वैशेषिकोऽहमित्येवं पक्षपरिग्रहं कृत्वा यदा शब्दस्य नित्यत्वं प्रतिजानीते, तदागमविरुद्धः / यतस्तस्यागमे शब्दस्यानित्यत्वं प्रसिद्धम् / གང་གི་ཆེ་, བདག་ནི་བྱེ་བྲག་པའོ་, ཞེས་བ་འདི་ལྟ་བུ་ཕྱོགས་ཡོངས་སུ་ བཟུང་བར་བྱས་ན། “སྒྲ་རྟག་པ་ཉིད་དུ་དམ་བཅས་བ་དེའི་ཚེ། (དེ་ནི) ལུང་ དང་འགལ་བའ / / གང་གི་ཕྱིར་ན་, དེའི་ལུང་ལས་ “སྒྲ མི་རྟག་པ་ཉིད་དུ་རབ་ དུ་གྲགས་སོ། 175) उक्तं च-"बुद्धिमत्पूर्वा वाक्यकृतिवेंदे"३ .. (वैशेषिक-सूत्र 6 / 1 / 11) "तद्वचनादाम्नायस्य प्रामाण्यमित्यादि" / (वैशेषिक-सूत्र // 23 // ) 5) we', माओव्य (1) मा UN (कैमा मेनुका i)བོད་དཔེ་ཀུན་ལས་མཐུན་བ5; དང་པོ་འཇིག་རྟེན་བས་བསལ་བ་དང་། དེ་ནས་ལུང་གིས་བསལ་བ་; གོ་རིམ་ཟློག་ནས་འདུག་ཀྱང; རྒྱུ་དཔེ་རྩ་འགྲེལ་ཀུན་ལས་མཐུན་བར་ལུང་གིས་བསལ་བ་དང་པོར་འདུག་ བས་འདིར་དེའི་རིང་བའོ་ 2) म म म परमो का गम माया; खेमामा। 3) अन्यत्र-"बुद्धिपूर्वां वाक्यकृतिदे"-इति पाठा० उपलभ्यते (O.P.P.S, 4. सूत्र-६।१।१,) इस सूत्र का अर्थ:-'अग्निहोत्रम् जुहुयात स्वर्गकामः, इत्येवंभूता रचना मगवतो महेश्वरस्य बुद्धिपूर्वां सा ततः प्रमाणम् आप्तप्रमाणितत्वस्य सत्यताव्याप्तेः(चन्द्र.वृत्ति. १११,पृष्ठ-४५. मुनि जम्बुविजय द्वारा सम्पादित-गायकवाड संस्करण. 1661) / 4) इस सूत्र को भी अन्यत्र दो तरह के पाठ-भेद मिलते हैं / - वैशेषिक सूत्र-0.P.P.S. के अनुमार “तद्वचनादाम्नायप्रामाण्यम्" इति पाठः / उपस्कारकृदभिमतसूत्रपाठे-“तद्वचनादाम्नायस्य प्रामाण्यम्"-इति / (१।१।३।वै.)। इस का अभिप्राय-"तदिति हिरण्यगर्मपरामर्शः, हिरण्यं रेतोऽस्येति कृत्वा भगवान् महेश्वर एवेज्यते / आप्तेनोक्तत्वस्य सत्यता