________________ नमस्कार स्वाध्याय विभाग]. पंक्ति अशुद्ध 28 प्रसिज्झउ 29 “ॐ अवतर सोमे 29 ॐ वग्गु निवग्गु 334 2 गणधारा 4 अक्षरप्रमाणं 16. निक्खत्तं 335 . 5 भावनमस्कारं 8 त्रैलोक्यद्रव्य 12 भविष्यभेदेन " 29 कौंनिरुद्धं " 29 वकाराः 336 .12 भवसिद्धि य पुरिसाणं 13 भवसिद्धि य महिलाणं पसिज्झउ "ॐ अवतर, अवतर सोमे ॐ वग्गु वग्गु निवग्गु गणधरा अक्षरप्रमाणः णिक्खंतं भावनमस्कारः त्रैलोक्यं द्रव्य भविष्यत्भेदेन कौनिरुद्धं निधयः भवसिद्धियपुरिसाणं भवसिद्धियमहिलाणं दस द्वितयेऽपि वि जियस्से पण विषम कार्यों पण बेसतां, ऊठतां, ऊभा रहेतां, (प्रमादवाळो) : : 28. द्वितीयेऽपि 3695 विजियस्स - 18 विजयी 24 जे कार्यो......पण 370 15 बेसतां, 372 16 (आदरवाळो) , 20. (कार्य) 373 24 मरण वखते 24 गमे ते सकर्ण-सावधान पुरुप 374 . . 2 करवद्ध 376 28 मंगळ करे छे 377 12 विगमम्मी जायमाणम्मी , 21 करवाथी , 24 मेळवे छे कोण एवो सकर्ण (सावधान पुरुष), मरण पखते 378 . 6 अणुमुयंतो सत्त पण सत्त य 19 विस्रोतसिका 19 उन्मार्गे जता चित्तने 26 पापमळने......कहे छे करबद्ध मंगळy आगमन करे छे / विगमम्मि जायमाणम्मि पामनार मेळवे छे अने पर्यते कर्मरहित थईने सिद्धिगतिने पामे छे अणुम्मुयतो सत्त पण सत्त सत्त य विश्रोतसिका चित्तना उन्मार्ग गमनने दूर करायो छे पापमल जेनाथी एवा नवकारना फळने कहे छे समस्त भुवनमां मनुष्यनां भरहेसु एसु राक्षस अने मारि वहि 380 382 , 383 20 मनुष्यनां / 3 भरहेसु सु 24 ग्रह अने मरकी 11 वुट्टि