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________________ विभाग] नमस्कार खाध्याय। 481 संदर्भ-परिचय पंचपरमेष्ठीनां पदोनी आराधना केवी रीते कराय ए संबंधे केटलाय समयथी अमारी शोध चालु हती। यद्यपि श्रीरत्नशेखरसूरिरचित 'सिरिसिरिवालकहा' माथी 'सिद्धचक्रयंत्रालेखनविधि' अने 'पंचपरमेष्ठिनवक'नो संदर्भ तारवीने अनुवाद विवेचन साथे प्रस्तुत ग्रंथ माटे संग्रह करी लीधो छतां तेमा ज पंचपरमेष्ठीनां पदोनी आराधनाविधि हशे एवो ख्याल आव्यो न होतो / ज्यारे 'सिद्ध-5 चक्र'नी फाईलो उपर अचानक दृष्टि पडी त्यारे नवपदोनी संक्षिप्त छतां विशिष्ट आराधनाविधि ('सिद्धचक्र' वर्षः 3, अंकः 13, 14, 15.) वांचवामां आवी / तेमांथी 'सिरिसिरिवालकहा'ने सामे राखीने 'पंचपरमेष्ठिपदाराधनविधि'नो छ गाथात्मक संदर्भ अवचूरि साथे तारवीने तेनो अनुवाद लख्यो; परंतु गाथाओनो केवळ शब्दार्थ आराधकोनी जिज्ञासा माटे पूरतो न जणातां तेना उपर यथाशक्ति विवेचन आपवानो प्रयास कर्यो छ। 10 last 7R नवस र य र वीCIA सगण व ईमा me प्रणिधर . - गुणे हिं पा व इन तं Gir .. . . '--:
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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