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________________ विभाग] -नमस्कार स्वाध्याय / 443 [31] अंगविजापइण्णय-संदब्भो णमो अरहंताणं, णमो सव्वसिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं, णमो महापुरिसस्स महतिमहावीरस्स सव्वण्णू सव्वदरिसिस्स। _इमा भूमीकम्मस्स विजा-"इंदिआली इंदिआलि माहिंदे मारुदि स्वाहा, णमो महा- 5 पुरिसदिण्णाए भगवईए अंगविजाए सहस्सवागरणाए खीरिणिविरणउदुंबरिणिए सह सर्वज्ञाय खाहा, सर्वज्ञाधिगमाय स्वाहा, सर्वकामाय स्वाहा, सर्वकर्मसिद्ध्यै स्वाहा / " क्षीरवृक्षच्छायायां अष्टमभक्तिकेन गुणयितव्या, क्षीरेण च पारयितव्यम् , सिद्धिरस्तु / भूमिकर्मविद्याया उपचार:-चतुर्थभक्तिकेन कृष्णचतुर्दश्यां ग्रहीतव्या, षष्ठेन साधयितव्या अहतवत्थेण कुससत्थरे // 1 // .. . 10 "णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं,णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं, णमो आमोसहिपत्ताणं, णमो विष्पोसहिपत्ताणं, णमो सव्वोसहिपत्ताणं, णमो संभिन्नसोयाणं, णमो खीरस्सवाणं, णमो मधुस्सवाणं, णमो कुट्ठबुद्धीणं, णमो पदबुद्धीणं, णमो अक्खीण महाणसाणं, णमो रिद्धिपत्ताणं, णमो चउदसपुवीणं, णमो भगवईए महापुरिसदिनाए अंगविजाए सिद्धे सिद्धाणुमए सिद्धासेविए सिद्धचारणाणुचिन्ने अमियबले महासारे 15 महाबले अंगदुवारधरे स्वाहा / " छटुग्गहणी, छट्ठसाधणी, जापो अट्ठसयं, सिद्धा भवइ // 2 // अनुवाद णमो अर० थी सव्वदरिसिस्स' सुधीनो एक मंत्र छ / ते पछी 'इंदिआली' थी 'स्वाहा' सुधी भूमिकर्मनी विद्या छे, तेनी विधि आ प्रकारे छे क्षीरवृक्षनी ( उंबराना झाडनी, वडना झाडनी, पींपळना झाडनी के रायणना झाडनी) 20 छायामां बेसीने अट्ठमनुं तप करीने आ विद्यानो जाप करवो / तपना अंते खीरथी पारणुं क / आथी भूमिकर्मविद्या सिद्ध थाय छे / भूमिकर्मविद्यानो उपचार-ग्रहणविधि एवो छ के -एक उपवास करीने काळी चौदशना दिवसे आ विद्याने ग्रहण करवी अने छठ-बे उपवास-करीने तेनी साधना करवी / साधनाकाळमां वस्त्रो अखंड (सीव्या विनानां, दग्धादि दोष रहित) वापरवां, तथा शय्या माटे घासना संथारानो 25 उपयोग करवो। __णमो अर० थी स्वाहा' सुधीनी विद्या छे। छठ एटले बे उपवास करीने आ विद्या प्रहण करवी अने छठ-बे उपवास करीने तेनी साधना करवी अने एकसो ने आठवार तेनो जाप करतां आ विद्या सधाय छ।
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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