________________ [21] - सिरिजयचंदररिविरइयं पण्हगम्भं पंचपरमिट्टिथवणं // रेहाहिं को ततिहिं ? को विणयरसजुओ ? सम्मओ बेइ ? चक्क कि रूवं ? मंतबीअं किमिह सिवकए ? निक्खि( कि )वो को ? सुहं किं / / पूअत्थं वा पयं किं ? भणह पडकए केरिसं किं निमित्तं? किं सिद्धंतस्स आई 1 सयलसुहकरं किं पयं ? झायए तं // 1 // [स्रग्धरावृत्तम्] णमो अरिहंताणं / ' [शङ्खलाजातिस्बिर्गतश्च] वृत्तिः-रेखाभिः तिसृभिः णं इति प्राकृति]त्वाद् लोपः / नमतीति नमो 'अचू' इत्यनेनाच् , विनीतो नमो नन्ता भवति / सम्मदो हर्षो ब्रूते, तस्य संबोधनं हे मोद ! / अरा अस्य सन्तीत्यरि 10 चक्रम् / मन्त्रबीजं 'अहं' अकारं विनाऽपि 'है' इत्यपि भवति / निष्कृतो(पो) हन्ता / सुखं त्राणं / पूजार्थं नमः पदम् / पटस्य कारणमहं योग्यं वदन्ति / अ(आ)गमस्य आदिः 'णमो अरिहंताणं' इति // 1 // अनुवाद (1) अ [ 'शृंखलाजाति' नामक चित्रबंध [ जूओ चित्र नं० 5] वडे प्रकट थता ‘णमो 15 अरिहंताणं' पद संबंधी प्रश्नोत्तरो।] रीति-१ (1) प्रश्न-त्रण रेखाओथी बनेलो अक्षर कयो ? उत्तर-ण / (2) प्रश्न-विनयना रसथी भरेलो शब्द कयो ? उत्तर णमो-(नमः)-नमस्कार / (3) प्रश्न-संमद-हर्षना पर्याय शब्दनुं आमंत्रण शुं ? उत्तर-मोअ! -( मोद! )-आनंद / 20 (4) प्रश्न-चक्रवाचक शब्दनो पर्याय शब्द कयो ? . . उत्तर-अरि-(अरिन् ) –अर एटले आरा जेमां होय ते / (5) प्रश्न-कल्याण माटे उपयोगी मंत्रबीज को ? उत्तर-रिहं -(है) -है। (6) प्रश्न-कृपा वगरनो माणस शुं कहेवाय ? उत्तर-हंता-( हन्ता)-मारनार, हिंसक। (7) प्रश्न-सुख शुं छे ? उत्तर-ताणं-(त्राणं)-रक्षण। 25 आ [ 'त्रिर्गत' वडे 'णमो अरिहंताणं' पद प्रकट थाय छे, ते संबंधी प्रश्नोत्तरो] (1) प्रश्न-पूजाने माटे कयो शब्द वपराय छे ? उत्तर-णमो-(नमः)-नमस्कार। (2) प्रश्न-मंत्रपटना निर्माणमां कारणभूत कोण मनाय छे ? उत्तर-अहे-'अरिहंताणं' ए पद / रीति-३ . (1) प्रश्न-आगमोनुं आदि पद कयुं ? उत्तर-णमो अरिहंताणं। .30