________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। परिचय आ स्तोत्रनुं संपादन जे पांच प्रतिओ ऊपरथी करवामां आव्युं छे ते आ रीते छेV संज्ञावाळी प्रति श्री जिनविजयजी मुनिए छपावेलां फॉर्स ऊपरथी आ स्तोत्रनो पाठनिर्णय को छे। A संज्ञावाळी प्रति जैनानंद पुस्तकालय, सूरत-नं. 585 ऊपरथी पाठांतरो लीधां छे। / N संज्ञाथी श्रीअगरचंदजी नाहटा-बिकानेरना संग्रहनी प्रति-नं. 9243 ऊपरथी पाठांतरो लेवामां आव्यां छे। . J संज्ञाथी श्री जिनविजयजी मुनिए लीघेलां पाठांतरोने अहीं नोंधवामां आव्यां छ / S संज्ञावाळी प्रतिनी जैन साहित्य विकास मंडळना संग्रहमां नकल करेली हती तेना ऊपरथी पाठांतरो नोंध्यां छे। ___10 आ स्तोत्रना कर्ता विशे कोई प्रतिमां कशो उल्लेख मळतो नथी / संभवतः आ कृति संग्रहात्मक लागे छे / केटलीक गाथाओ 'पंचनमुकारफलथुत्त' नी तो केटलीक गाथाओ बीजी कृतिओमांथी संग्रहित करेली छे। आ स्तोत्रनुं बीजुं नाम 'लहुनमुक्कारफलथुत्त' मळे छे अने एक प्रतिमां आनो 'नमस्कारकुलक'थी उल्लेख करेलो जोवामां आव्यो छे / T