________________ 360 (16) परमेष्ठयादिपदगर्भितमन्त्रादयः॥ [प्राकृत . अयं मन्त्रो धवलध्यानपूर्व दष्टवणे वार 21 विधिना जप्ते विषमपहरति श्रीपार्श्वनाथस्मरणापूर्वम् // [67] रोगनिवारणमत्र: "ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, ॐ नमो आयरियाणं, ॐ नमो उवज्झायाणं, 5 ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ नमो आमोसहिपत्ताणं, ॐ नमो खेलोसहिपत्ताणं, ॐ नमो विप्पोसहिपत्ताणं, ॐ नमो सम्वोसहिपत्ताणं एएसिं नमोकारं किच्चा जमियं विजं पउंजामि सा मे विजा पसिज्झउ स्वाहा // " रोगविमुक्तये वासाद्यभिमन्त्रणम् // [R आदर्श हांशिया-टिप्पण्यां लिखितमिदम्"नमोऽस्तु गुरुचन्द्राय यत्करस्पृष्टमूर्धनि / आविर्भवति भव्येऽस्मिन्नपि वाक्यसुधार[स]म् // "] निस्सेससाइणी-गहविणासणी जिणवरेहिं णिहिट्ठा / णवयारपंचसहियाण ओलीविजा पउंजेह // [68] ओलीविद्या15 "ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, ॐ नमों आयरियाणं, ॐ नमो उवज्झायाणं ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ हाँ नकुलीनाम् // " [69] स्वमविद्या "ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभाय, लब्धानन्तचतुष्टयाय, हाँ श्रीँ क्लीँ हसौं असि आ उ सा नमः॥" रात्रित्रयजापादादेशः॥ 20 [70 ] विसूचिकास्तम्भनमत्रः "ॐ नमो भगवते नमो अरिहंताणं, नमो जिणाणं, हाँ हाँ हूँ हाँ इः अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय ॐ हाँ ही हैं अ सि आ उ सा झीँ झीँ स्वाहा // " जापः वार 108 कृत्वा जलं पाययेत् विसूचिकास्तम्भनम् // [71] ज्वरस्तम्भनमन्त्रः25 "ॐ नमो भगवते नमो अरिहंताणं, नमो ओहिजिणाणं हाँ हाँ है ही इः अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय हाँ असि आ उ सा झौं झौं स्वाहा // " वार 108 ज्वरस्तम्भनं करोति // [72 ] गगनगमनमन्त्रः 'ॐ आदि हाँ हीनः' 'पञ्चबीजैः' ततः 'सर्वसिद्ध्यै नमः॥' पुष्पलक्ष 1 जापः वृक्षे सिक्ककं कृत्वा 108 तणी बद्धं, तत्रारूढो अग्निकुण्डे होमयेत्, एकधा . 30 तेन पादास्रोट्यन्ते खे गमनम् / ॐ हाँ हाँ हूँ हाँ इः असि आ उ सा सर्वसिद्ध्यै नमः" [73 ] महामत्रःइच्छामि० / इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! महामन्त्रतणी स्मरणा करिसिउं"नमो अरिहं०--हवइ मंगलं / ॐ क्षाँ रौँ नमो अरिहंताणं, ॐ श्री राँ रौं नमो सिद्धाणं ॐ झाँ रौं रौं नमो आयरियाणं, ॐक्षी रौं रौं नमो उवज्झायाणं, ॐक्षी रीरीं नमो लोए सव्यसाहूणं।" एवं 9 / ___ "ॐ नमो भगवते श्रीपुण्डरीकप्रथमगणधर-प्रथमसिद्धसंसिद्धसुहारिसहो / असुहो संसिद्धि (1) स्वाहा / " पासक्ष्य नमः"