________________ 17 नमस्कार स्वाध्याय (7) शङ्ख- नन्दि - नवपद-उकाररूपावर्तचतुष्कम् (पृ. 524) (8) ही -श्री-सिद्धात्मकावर्तत्रिकम् (पृ. 525) जाप करवाना अनेक प्रकारोमा कर जप ए एक विशिष्ट प्रकार छ। कर जप जुदी जुदी अनेक रीते करवामां आवे छे। तेमाथी आ बन्ने चित्रमा मळी कुल सात रीतो आपवामां आवी छ : 1. शङ्खावर्त-दक्षिणावर्त शङ्खनी जेम अहीं करांगुलिओमां आवर्त थाय छ / आ रीते इष्ट जाप करवाथी सौभाग्यादिनी प्राप्ति थाय छे / ___2. नन्द्यावर्त-नन्द्यावर्त ए एक मंगळ छ। स्वस्तिकने मळतुं आ मंगळ चिह्न समृद्धिनी वृद्धि करनालं छ। एनं नाम पण ए अर्थन सूचक छ। अहीं वेढाओनी गणना एवा प्रकारे छे के जेथी नन्द्यावर्तनी आकृति ऊठी आवे छे। 3. नवपदावर्त-आ आवर्तमां नवपद मंडल जे रीते स्थापन करवामां आवे छे ते रीते क्रमांक लेवाना छ / 4. जॅकारावर्त-अहीं जैन परिभाषानो नकार स्पष्ट थाय ए रीते अंको गणवाना छे अने चित्रमा ए स्पष्ट छ / 5-6. ह्रीकारावर्त अने श्रीकारावर्त-ए बन्ने आवर्ती उपर जणावेल जॅकारावर्त मुजब छ / 7. सिद्धावर्त बन्ने हाथ भेगा कखाथी सिद्ध शिलानी आकृति स्पष्ट थाय छे अने तेमां आठ आंगळीओनां त्रण त्रण वेढा गणतां 24 संख्या चोवीशीनी सूचक छ। 24 जिनेश्वरोनो ए रीते जाप करवाथी कर्मक्षय शीघ्र थाय छे / . (9) मुद्राषटुम् (पृ. 526) 1. आवाहनी मुद्रा-आ मुद्रा कोईपण इष्ट देवता वगेरेने बोलाववा माटे उपयोगमां आवे छे / 2. स्थापनी मुद्रा-बोलावेला देवता वगेरे स्थापन करवा माटे आ मुद्रानो उपयोग थाय छे। 3. संनिधापनी मुद्रा-आ मुद्राथी स्थापन थयेला देवता वगेरेने आराधक स्वाभिमुख करे छे / 4. संनिरोधनी मुद्रा-स्वाभिमुख करेला देवता वगेरेने आ मुद्राथी नियंत्रित करवामां आवे छे / 5. अवगुण्ठनी मुद्रा-आ मुंद्राथी नियंत्रित करेला देवता वगेरेने बीजाओथी सुरक्षित करवामां आवे छे / 6. सौभाग्य मुद्रा-आ मुद्रा सौभाग्यादिनी वृद्धि करे छ। (10) पञ्चपरमेष्ठि नमस्कारग्रथितरम्यसूत्रपटी (पृ. 527) - श्री नमस्कारमंत्रना पांच पदोना पडिमात्रानो पाठ गूंथणीमां आवे तेवी रीते ऋषि मनोहरे रंगीन पाटी गूंथी छे एर्नु आ चित्र छे / ते पाटी संवत 1739 ना भादरवा वद पांचमना दिवसे गूंथी छे एवं तेमां दर्शाव्यु छे / आ .. पाटी बार फूट लांबी अने पोणो इंच पहोळी छे अने तेमां अक्षरो सिवाय आगळ-पाछळ सुशोभनो छे। ते सुशोभनो शाना संकेत छे ए समजातुं नथी। (11) वापीयन्त्रम् (पृ. 528) आ यंत्रनो निर्देश नमस्कार अंगेना मंत्रोमां आवे छे, जो के तेमां यंत्रनो स्पष्ट नामोल्लेख नथी; परंतु तेमां जे वर्णन छे ते परथी तुरत समजाय छे के 'मंत्रमहार्णव'मां जे 'वापीयन्त्र' तरीके ख्यात छे ते ज यंत्रनुं आ वर्णन छे। सुगंधी द्रव्योथी भीत अगर पटमां आ यंत्रनुं आलेखन करीने सुवासित पुष्पो अने धूप वगेरेथी पूजा करतां मरकी 'अने नाना उपद्रवो शांत थई जाय छे / यंत्रनो आकार 'वाव' जेवो होवाथी तेने 'वापीयन्त्रम्' कहेवामां आवे छे। आ यंत्र "नमस्कार महामंत्र अडसठ अक्षर परिमाणनो छे" ए हकीकत पर प्रकाश पाडे छ।