________________ णमोकारणिज्जुत्ती। [प्राकृत आव्युं / प्रमाणमां मोटुं अने वर्ण तेमज गंधमां विशिष्ट एवं बीजोरु खाईने राजा ते आपनार माणस उपर प्रसन्न थयो / तेने ईनाम आपवामां आव्यु / राजाए माणसोने आज्ञा करी के, 'नदीना किनारे किनारे जतां ज्यांथी आ बीजोरु वहेतुं आव्युं छे ते स्थळनी भाळ मेळयो।' पुरुषो भातु बांधीने गया। आगळ चालता चालतां एक उद्यान 5 आव्युं / त्यांना कोई पुरुषे चेतवणी आपी के, 'जे आ उद्याननुं फळ तोडे छे ते मरी जाय छ / ' पुरुषोए आ हकीकत राजाने कही। राजाए कह्यु: 'बीजोरु तो अवश्य लावq ज जोईए / वारा फरती एकेक माणसने मोकलो' एवो हुकम राजाए राजपुरुषोने कर्यो / ए रीते एकेक माणसने मोकलवामां आवे छे ने बीजोर आव्या करे छे / एटले के, एक 10 माणस उद्यानमा प्रवेश करे अने बीजोरु तोडीने बहार फेंके पछी ते मरी जाय / आ रीते बीजा बीजा माणसोने मोकलवामां आवता, ते बीजोरु लावता अने मरी जता / ए प्रमाणे समय वीततां हवे श्रावकोनो वारो आव्यो। ___ एक श्रावक गयो / ते विचारवा लाग्यो के 'श्रमणचारित्रनी विराधना ना थाओ' एम नैषेधिकी-निसीहि करीने नमस्कारमंत्रनो जाप करतो उद्यानमा पेठो / उद्यानमा रहेला व्यंतरने 15 आथी चिंता थई, ने विचार करतां तेने ज्ञान थयुं / श्रावकने ते वंदन करवा लाग्यो अने कह्यु: 'हुं रोज एकेक बीजोरु घेर पहोंचाडीश / ' ____ आ वातनी राजाने खबर आपवामां आवी / श्रावकनुं सम्मान करवामां आव्युं / तेनी दिवसे दिवसे उन्नति थवा लागी / " आ रीते नमस्कारमंत्रथी अभिरति अने भोग प्राप्त थाय छे / ते श्रावक बची गयो, एनाथी 20 बीजं आरोग्य शुं होई शके ? अने राजा संतुष्ट थयो / (4) चंडपिंगल। नमस्कारमंत्रथी परलोकनुं फळ पण मळे छे ते कयी रीते ए विशे दृष्टांत कहे छे "वसंतपुरमा जितशत्रु नामे राजा हतो। त्यां एक गणिका श्राविका हती / ते गणिका चंडपिंगल नामना चोरनी साथे रहेती हती। 25 कोई वेळा ते चोर राजाना महेलमांथी मूल्यवान हार चोरी लाव्यो। बीकना मार्या ते हार छुपावी देवामां आव्यो। एक समये उद्यानयात्राना प्रसंगे बधी गणिकाओ अलंकार सजीने उद्यानमां गई। बधी गणिकाओमां 'हुं वधारे सारी लागुं' एम विचारीने तेणे ते हार पहेर्यो हतो / जे राणीनो आ हार हतो तेनी दासीओ ए हारने ओळखती हती / आ हकीकत राजाने कहेवामां आवी। .