________________ प्राकृत 142 णमोकारणिज्जुत्ती। उवओगदिवसारा कम्मपसंगपरिघोलणविसाला / साहुक्कारफलवई कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी // 60 // 946 // हेरन्निएं करिसए कोलिऔ डोवे अ मुत्ति' घय पवएँ / तुन्नार्ग वड्डई पूइएँ अ घडे चित्तकारे अ॥ 61 // 947 // अणुमाणहेउदिटुंतसाहिया वयविवागपरिणामा / हिअनिस्सेअसफलवई बुद्धी परिणामिआ नाम // 62 // 948 // अभएँ सिद्धि कुमारे देवी उदिओदए हवई राया। साहू अ नंदिसेणे धणदत्ते सावर्ग अमच्चे // 63 // 949 // खवगे अमच्चपुत्ते' चाणक्के" चेव थूलभद्दे अ। नासिकसुंदरी नंदे" वइरे" परिणामिआ बुद्धी // 64 // 950 // चलणाहय आमंडे" मणी अ सप्पे" अ खग्गि थूमि" दे"। परिणामिअबुद्धीए एवमाई उदाहरणा // 65 // 951 // क्रौंचवें वामभ्रमण, 13 वरसादनुं पाणी, 14 बळदनी चोरी अने प्रहारथी घोडानुं मरण / 58-59, (944-945) (कर्मजा बुद्धिनुं लक्षण जणावे छे-) श०–एकाग्र चित्तथी उपयोगपूर्वक कार्यना परिणामने जोनारी तथा अनेक कार्योना अभ्यास अने चिंतनथी विशाल तेमज विद्वानोए करेली प्रशंसारूप फळने आपनारी बुद्धि 'कर्मजा बुद्धि' कहेवाय छे / 60, (946) .... (कर्मजा बुद्धिनां दृष्टांतो जणावे छे-) 20 श०-१ सोनी, 2 खेडूत, 3 वणकर, 4 लुहार, 5 मणिकार, 6 घी वेचनार, 7 कूदनारो, 8 दरजी, 9 सुथार, 10 कंदोई, 11 कुंभार अने 12 चित्रकार / 61, (947) (पारिणामिकी बुद्धिनां लक्षण जणावे छे-) श०–अनुमान, हेतु अने दृष्टांतथी साध्यने सिद्ध करनारी, अवस्थाना परिपाकथी पुष्ट तेमज अभ्युदय अने मोक्षरूपी फळने आपनारी बुद्धि ते 'पारिणामिकी बुद्धि' कहेवाय छ / 62, (948) 28 (पारिणामिकी बुद्धिनां दृष्टांतो जणावे छे-) श०-१ अभयकुमार, 2 शेठ, 3 कुमार, 4 देवी, 5 उदितोदय राजा, 6 साधु अने नंदिषेण कुमार, 7 धनदत्त, 8 श्रावक, 9 अमात्य, 10 क्षपक साधु, 11 अमात्यपुत्र, 12 चाणक्य, 13 स्थूलिभद्र, 14 नासिकपुरमां सुंदरीपति नंद, 15 वज्रस्वामी, 16 मस्तक पर चरणप्रहार, 17 आमलक, 18 मणि, 19 सर्प, 20 गेंडो (अरण्य पशु ) अने 21 स्तूप वगेरे ए पारिणामिकी 30बुद्धिनां उदाहरणो छ / 63-65, (949-951) /