________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / 125 आरोवणा य भयणा पुच्छा तह दायणा य निजवणा। नमुक्कारऽनमुक्कारे नोआइजुए व नवहा वा // 16 // 902 // ___15 नव प्रकारनी परूपणा / श०-१. आरोपणा, 2 भजना. 3 पृच्छा, 4 दायना (दर्शना के दापना) अने 5 निर्यापणा, 6 नमस्कार, 7 अनमस्कार, 8 नोनमस्कार अने 9 नोअनमस्कार एम नव प्रकारे पण प्ररूपणा छ / (16) 5 वि०-१. जीव ज नमस्कार छे के नमस्कार ज जीव छे ? ए प्रमाणे परस्पर अवधारणथी जे - अध्यारोप करवो अथवा पर्यनुयोग करवो ते ‘आरोपणा' कहेवाय छे / 2. सम्यग्दृष्टि जीव नमस्कार होय अने मिथ्यादृष्टि न होय तेथी जीव नमस्कार होय अथवा न पण होय, परंतु नमस्कार तो अवश्य जीव छ / आ रीते एक पदना व्यभिचारने 'भजना' कहे छ / 3. जो सर्व जीव नमस्कार न होय तो शुं कोईक जीव ज नमस्कार छे? जो एम होय तो ते केवा 10 प्रकारनो जीव नमस्कार छे अथवा कयो जीव नमस्कार छे? आवा प्रश्नने 'पृच्छा' कहे छे / 4. नमस्कारथी परिणत जे जीव ते नमस्कार अने तेथी अपरिणत होय ते अनमस्कार ए प्रमाणे अगाऊ पूछेला प्रश्ननी निर्वचना ते 'दायना' कहेवाय छे / 5. नमस्कार परिणत जे जीव ते ज नमस्कार अने नमस्कार पण जीव परिणाम ज छे, अजीव परिणाम नथी एवी विचारणाने 'निर्यापना' कहे छ। - प्र०—दायना अने निर्यापनामां शो तफावत छे ? उ०-दायना नमस्कारना अर्थन व्याख्यान करे. छे ज्यारे निर्यापना ए बतावेला अर्थवारंवार उच्चारण करवारूप निगमन करे छ। दायनामां जेम नमस्कार परिणत जे जीव होय ते ज नमस्कार छे, अन्य नथी, एम नियमित छे, तेवी रीते निर्यापनामां नमस्कार परिणत जे जीव होय ते ज नमस्कार मानेल छे अन्य नहीं, ए प्रमाणे 20 * फरीथी अवधारण कराय छे, केमके ते बंने अभिन्न छे. 6. नमस्कार = नमस्कार परिणत जीव / 7. अनमस्कार = नमस्कारापरिणत जीव / 8. नोनमस्कार = नमस्कारनो एक देश अथवा अनमस्कार / 9. नोअनमस्कार =अनमस्कारनो एक देश अथवा नमस्कार / 25 आ चारने अनुक्रमे प्रकृति, अकौर, नोकार अने नोकार-अकार प्ररूपणा कहेवाय छे। जेमके नमस्कार परिणत जीव नमस्कार छे, ए प्रकृति प्ररूपणा छ। एथी विपरीत ‘नमस्कार अपरिणत जीव नमस्कार नथी' ए निषेधवाचक अकार प्ररूपणा छ / ए ज रीते प्रकृतिने नोकार अने नोअकार लगाडीने पण प्ररूपणा थई शके छे। 'नो' देशनिषेध अथवा सर्वनिषेधमां वपराय छे / 16, (902) 6. वस्तु द्वार। 30 [पंच परमेष्ठीओने नमस्कार] नमस्कारने योग्य अरिहंत आदि पांच वस्तु छे (जूओ गाथा 15-901), अहीं तेनो विशेषार्थ कहे छे