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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। उ०-आ प्रश्ननो जवाब पण नयथी विचारवो जोईए / तेमां प्रथम नैगमनय तथा व्यवहारनयना अभिप्राय प्रमाणे नमस्कार करवायोग्य पूज्य आत्मा ज नमस्कारनो स्वामी छे; पण नमस्कार करनार जीव तेनो स्वामी नथी; कारण के, नमस्कार पूज्यने अपाय छे। लोकव्यवहारमा पण जेम-'भिक्षा कोनी ?' तो ते 'भिक्षुकनी, यतिनी' एम कहेवाय छे पण आपनारनी कहेवाती नथी तेवी रीते अहीं पण समजवू / _____ अथवा घडाना पोताना रूप आदि धर्मो घडानी अंदर घडानी प्रतीति करावनार होवाथी घडाना पर्यायो छे तेम नमस्कार पण पूज्यनी अंदर 'आ पूज्य छे' एवी प्रतीति करावनार होवाथी ते पूज्यनो पर्याय छे / अथवा घट संबंधी ज्ञान अने तेनुं कथन घडाना हेतु होवाथी धडाना पर्यायो छे तेवी ज रीते नमस्कार करवायोग्य अरिहंत आदिने जोवाथी भव्य जीवने विशिष्ट उल्लासथी नमस्कार करवानो अभिप्राय उत्पन्न थाय छे तेथी ते पूज्य आत्मा नमस्कारनो हेतु होवाथी नमस्कार 10 ए पूज्यनो पर्याय छ / - वळी, नमस्कार करनार ते पूज्य नमस्कार्य जीवात्मानुं दासत्व पामे छे तेथी नमस्कार उपर नमस्कार करनारनो अधिकार नथी। . अहीं एक विशेष वात ए समजवानी छे के, पूज्य वस्तु जीव अने अजीवरूपे बे प्रकारनी होय छे / जीवरूप ते अरिहंत वगेरे होय छे अने अजीवरूप तेमनी प्रतिमाओ वगेरे होय छे / आ 15 जीव, अजीव पदना एकवचन अने बहुवचन वडे आठ प्रकारो नीचे मुजब थाय छे:. 1. जिनेश्वरने नमस्कार करवा ते जीवनो नमस्कार / 2. जिनेश्वरनी प्रतिमाने नमस्कार करवो ते अजीवनो नमस्कार / 3. मुनिओने नमस्कार करवो ते जीवोनो नमस्कार / 4. प्रतिमाओने नमस्कार करवा ते अजीवोनो नमस्कार / 5. मुनिने तथा प्रतिमाने नमस्कार करवो ते जीवनो अने अजीवनो नमस्कार। 6. मुनिने तथा प्रतिमाओने साथे नमस्कार करवो ते जीवनो अने अजीवोनो नमस्कार / 7. घणा मुनिओने तथा एक प्रतिमाने साथे नमस्कार करवो ते जीवोनो तथा अजीवोनो नमस्कार। 8. धणा मुनिओ तथा घणी प्रतिमाओने साथे नमस्कार करवो ते जीवो तथा अजीवोनो नमस्कार। 25 संग्रहनयना मते 'नमः' ए सामान्य मात्र छे अने तेनो स्वामीमात्र वस्तुनो जीव ते ज 'नम:' छ / एटले ए बनेनो अभेद अर्थ लईए तो बनेनुं अधिकरण एक ज छे पण कोई शुद्धतर संग्रहनय पूज्य जीव अने पूजक जीव ए बनेना संबंधथी 'जीवनो ज नमस्कार' एवा एक ज भांगाने स्वीकारे छ। ऋजुसूत्रना मते ते नमस्कार ए ज्ञान, क्रिया अने शब्दरूप होवाथी अने ते ज्ञान-क्रिया-शब्द कर्ताथी अभिन्न होवाथी नमस्कारनो कर्ता ए ज स्वामी छे, एम माने छ / 30
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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